रूसी ड्रोन में भारतीय चिप्स? यूक्रेन का गंभीर आरोप, नई दिल्ली से की दो बार शिकायत
यूक्रेन ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम उस समय घसीटा जब उसने यह सनसनीखेज दावा किया कि रूस द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे खतरनाक शहीद-136 ड्रोन (Shahed-136 UCAVs) में भारत निर्मित इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का उपयोग हो रहा है. यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने भारत सरकार को इस मामले में कम से कम दो बार औपचारिक कूटनीतिक आपत्ति भेजी है.

यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस द्वारा उपयोग किए जा रहे घातक शहीद-136 ड्रोन (Shahed 136 UCAVs) में भारत में निर्मित इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों का इस्तेमाल हो रहा है. यूक्रेनी अधिकारियों ने दो बार औपचारिक रूप से भारत सरकार से इस मामले में कूटनीतिक आपत्ति दर्ज कराई है. यूक्रेन का आरोप है कि भारत की दो कंपनियों – Vishay Intertechnology और Aura Semiconductor के बनाए गए या भारत में असेंबल किए गए इलेक्ट्रॉनिक चिप्स रूसी ड्रोन तकनीक में शामिल हैं.
यह मुद्दा ऐसे समय पर उठाया गया है जब यूरोपीय संघ के प्रतिबंध दूत डेविड ओ'सुलिवन (David O’Sullivan) ने हाल ही में भारत का दौरा कर अधिकारियों को नवीनतम प्रतिबंधों की जानकारी दी, जिनमें वादिनार रिफाइनरी (Vadinar Refinery) पर आयात प्रतिबंध शामिल हैं.
शहीद ड्रोन में मिले भारतीय चिप्स
यूक्रेनी दस्तावेजों और जांच रिपोर्टों के अनुसार, Vishay Intertechnology और Aura Semiconductor द्वारा बनाए गए दो अहम कंपोनेंट्स शहीद-136 ड्रोन में पाए गए हैं. Vishay का ब्रिज रेक्टिफायर E300359 जो भारत में असेंबल किया गया था, शहीद ड्रोन के वोल्टेज रेगुलेटर यूनिट में उपयोग किया गया. वहीं, Aura Semiconductor का 'AU5426A PLL-based signal generator chip” ड्रोन के सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम की जामिंग-रोधी एंटीना में शामिल पाया गया.
भारत की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने जवाब में कहा कि भारत का दोहरे-उपयोग (dual-use) वाले सामानों का निर्यात उसके गैर-प्रसार (non-proliferation) संबंधी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुसार होता है. हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे निर्यात भारत के किसी भी कानून का उल्लंघन न करें. सरकारी अधिकारियों ने बताया कि कंपनियों ने कोई भारतीय कानून नहीं तोड़ा है, और यह तकनीकी दृष्टिकोण से वैध निर्यात के तहत आता है.
कंपनियों की सफाई
ऑरा सेमीकंडक्टर के सह-संस्थापक किशोर गांती ने कहा कि उनकी कंपनी सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एक्सपोर्ट कानूनों का पालन करती है. उन्होंने एक बयान में कहा कि हमें यह जानकर गहरी चिंता हुई है कि हमारे कंपोनेंट्स शायद किसी अनधिकृत थर्ड-पार्टी चैनल के जरिए डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स तक पहुंच गए. हम ऐसी गतिविधियों का पुरज़ोर विरोध करते हैं और जहां भी अनुपालन में कमी पाई जाती है, हम कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हैं. कंपनी के अनुसार, जिस बफर प्रोडक्ट का इस्तेमाल हुआ, वह "प्लग एंड प्ले" है और किसी विशेष सपोर्ट की जरूरत नहीं होती, जिससे अंतिम उपभोक्ता का पता लगाना कठिन हो जाता है.
कैसे हो रहा है डायवर्जन?
सूत्रों के मुताबिक, ये इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे भारत से वैध रूप से वेस्ट एशिया में भेजे गए, जहां से वे रूस या ईरान की ओर डायवर्ट हो गए. मामले के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में चिप निर्माताओं से मुलाकात कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बारे में जागरूक किया.
शहीद ड्रोन और रूस की रणनीति
शहीद-136 ड्रोन, जिसकी आपूर्ति ईरान ने रूस को की थी, 2022 से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में भारी संख्या में इस्तेमाल हो रहा है. यूक्रेन की एयर फोर्स के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में रूस ने ऐसे 6,129 ड्रोन लॉन्च किए.
GTRI का विश्लेषण
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के प्रमुख अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत किसी भी प्रतिबंधित गंतव्य पर ड्यूल-यूज सामान का निर्यात कड़ाई से रोकता है. लेकिन जब सामान वैध देशों को भेजा जाता है, तो आगे उसकी निगरानी करना लगभग असंभव हो जाता है यह हर खुले बाजार की चुनौती है. उन्होंने यह भी कहा कि निर्यातकों को संवेदनशील क्षेत्रों और जोखिम वाले देशों को लेकर अधिक सतर्क किया जाना चाहिए. लेकिन किसी भी प्रणाली में पूर्ण नियंत्रण संभव नहीं है. अनुपालन जरूरी है, लेकिन दोष का गलत ठिकाना नहीं बनाया जाना चाहिए.


