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रूसी तेल पर भारत को घेरना अमेरिका का दोहरा रवैया, ट्रंप की धमकी के बीच वायरल हुआ अमेरिकी राजदूत का कबूलनामा

अमेरिका के पूर्व राजदूत एरिक गार्सेटी का एक पुराना वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो ने अमेरिकी प्रशासन के दोहरे रवैये की पोल खोल दी है. गार्सेटी ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि अमेरिका ने ही भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक तेल कीमतें नियंत्रित रह सकें.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

अमेरिका के पूर्व राजदूत एरिक गार्सेटी का एक पुराना वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसने अमेरिका की कथनी और करनी में फर्क को उजागर कर दिया है. इस वीडियो में गार्सेटी साफ तौर पर यह स्वीकार कर रहे हैं कि अमेरिका ने ही भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक तेल कीमतों को नियंत्रित किया जा सके.

यह वीडियो ऐसे समय सामने आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर तीखी टिप्पणियां की हैं और यहां तक कि भारत पर भारी शुल्क लगाने की धमकी भी दी है. भारत ने इसका करारा जवाब देते हुए अमेरिका के रुख को "अनुचित और अव्यावहारिक" बताया है.

एरिक गार्सेटी का कबूलनामा

अमेरिका के पूर्व राजदूत एरिक गार्सेटी ने पिछले साल एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि उन्होंने रूसी तेल खरीदा क्योंकि हम चाहते थे कि कोई तो उस कीमत पर तेल खरीदे. यह कोई उल्लंघन नहीं था. वास्तव में, यह नीति का ही हिस्सा था क्योंकि एक कमोडिटी के तौर पर हम नहीं चाहते थे कि तेल की कीमतें बढ़ें, और भारत ने इस भूमिका को निभाया.” इस कबूलनामे के सामने आने के बाद अमेरिका की नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं, खासकर तब जब ट्रंप भारत को रूसी तेल व्यापार को लेकर धमकियां दे रहे हैं.

पुरानी बातें बनी US की पोल खोलने का जरिया

एरिक गार्सेटी के बयान के अलावा, अमेरिका के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की भी पुरानी टिप्पणियां सामने आई हैं जो इस दोहरे रवैये को उजागर करती हैं. 2022 में अमेरिका की तत्कालीन वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा था कि भारत रूसी तेल जितना चाहे खरीद सकता है, बशर्ते वह पश्चिमी सेवाओं का इस्तेमाल न करे. उन्होंने Reuters को दिए बयान में कहा था.

भारत और भारतीय निजी तेल कंपनियां किसी भी कीमत पर तेल खरीद सकती हैं, जब तक कि वे पश्चिमी सेवाओं का इस्तेमाल नहीं करतीं. और अगर वे कोई अन्य सेवा इस्तेमाल करते हैं तो वह भी स्वीकार्य है. इसी तरह फरवरी 2024 में अमेरिकी सहायक विदेश सचिव ज्यॉफ्री पायट ने भी भारत की भूमिका की सराहना की थी. भारत ने रूसी कच्चे तेल की खरीद के माध्यम से वैश्विक ऊर्जा बाजारों को स्थिर करने में अहम भूमिका निभाई है.

भारत का स्पष्ट रुख

भारत सरकार ने अमेरिका के इन आरोपों और ट्रंप की धमकियों का जोरदार जवाब दिया है. भारत ने साफ कहा कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह बाजार की स्थितियों, राष्ट्रीय हित और देशवासियों को सस्ते और स्थायी ऊर्जा स्रोत मुहैया कराने पर आधारित है. सरकार ने अपने बयान में यह भी कहा कि उस समय अमेरिका ने खुद भारत से ऐसे आयात को प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता बनी रहे.

हमारे लिए यह व्यापार राष्ट्रीय आवश्यकता थी. सरकार ने यह भी जोड़ा कि जो देश आज भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए यह व्यापार किसी जरूरी कारण से नहीं किया जा रहा.

ट्रंप की धमकी और भारत पर लगाए गए शुल्क

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत से आयातित उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है और यह धमकी भी दी है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना नहीं रोकता, तो यह शुल्क 100 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है. इस बीच भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत ठप पड़ी है. भारत ने स्पष्ट किया है कि वह कृषि और डेयरी जैसे अहम क्षेत्रों से कोई समझौता नहीं करेगा, लेकिन बातचीत के लिए वह तैयार है.

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05 August 2025, 09:10 AM IST

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