ज्योति के फोन में छिपा था खतरनाक राज! जट्ट रंधावा असल में था पाक जासूस
Jyoti Malhotra: जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा केस में बड़ा खुलासा हुआ है. उसके फोन में जट्ट रंधावा के नाम से सेव किया गया नंबर असल में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के एजेंट अली हसन का निकला.

Jyoti Malhotra: पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार की गई यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा से जुड़ा मामला लगातार पेचीदा होता जा रहा है. इस हाई प्रोफाइल केस की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के साथ-साथ रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के अधिकारी भी कर रहे हैं. शुरुआती जांच में जहां हनी ट्रैप का एंगल सामने आया, वहीं अब इस केस में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
जांच एजेंसियों को ज्योति के मोबाइल फोन में एक ऐसा नंबर मिला है, जो उसने जट्ट रंधावा के नाम से सेव कर रखा था. लेकिन गहराई से जांच करने पर पता चला कि यह नाम फर्जी था और असल में यह नंबर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के एजेंट अली हसन का था. इसी अली हसन से जुड़ी बातें अब जांच एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गई हैं.
ISI एजेंट निकला जट्ट रंधावा
ज्योति मल्होत्रा के मोबाइल फोन में सेव किया गया जट्ट रंधावा नाम असल में एक पाकिस्तानी ISI एजेंट अली हसन का निकला. एनआईए को मिली जानकारी के अनुसार, अली हसन लगातार ज्योति से भारत की संवेदनशील जानकारियां हासिल कर रहा था. दोनों के बीच हुई व्हाट्सऐप चैटिंग को भी एजेंसियों ने खंगालना शुरू कर दिया है.
कोडवर्ड में होती थी बातचीत
एजेंसियों को जो चैट्स मिली हैं, उसमें अली हसन और ज्योति कोडवर्ड का इस्तेमाल करते नजर आए. एक चैट में जब अली हसन ने ज्योति से पूछा कि वह अटारी बॉर्डर गई थी, तो क्या वहां कोई अंडरकवर एजेंट मिला, जिसे किसी खास प्रोटोकॉल के तहत एंट्री दी गई हो? इस पर ज्योति जवाब देती है, "किसको मिला, मुझे तो मिला नहीं."
इसके बाद अली हसन फिर पूछता है, "इसका मतलब है कि कोई अंडरकवर एजेंट होता है तो उसका प्रोटोकॉल देखकर पता चल जाता है?"
जवाब में ज्योति कहती है, "नहीं... इतने पागल थोड़े ही न थे वो."
यहीं पर चैट खत्म हो जाती है और इसी से एजेंसियों को गहरा शक हुआ है कि कहीं ज्योति ने किसी एजेंट की मदद तो नहीं की.
विदेश यात्राओं पर भी उठे सवाल
जांच में सामने आया है कि ज्योति और अली हसन बाली समेत कई अन्य विदेशी लोकेशनों पर एक साथ गए थे. अब यह भी जांच का विषय बन गया है कि इन यात्राओं का असल मकसद क्या था. क्या यह सिर्फ निजी दौरे थे या फिर इसके पीछे किसी बड़ी साजिश का हिस्सा छुपा था?
क्या किसी भारतीय एजेंट की दी गई जानकारी?
व्हाट्सऐप चैट्स और ज्योति के बयानों के आधार पर एनआईए और रॉ को शक है कि कहीं ज्योति ने किसी भारतीय अंडरकवर एजेंट की जानकारी तो अली हसन को नहीं दी. हालांकि इस पर एजेंसियों ने जांच तेज कर दी है और यह पता लगाया जा रहा है कि वह किस हद तक अली की मदद कर रही थी.
जांच अभी जारी
फिलहाल एनआईए और रॉ की टीम इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है. ज्योति से लगातार पूछताछ जारी है और तकनीकी जांच के जरिए यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उसके संपर्क में और कौन-कौन लोग थे. आने वाले दिनों में इस केस से जुड़े और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं.