किसान आंदोलन पर टिप्पणी के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं कंगना रनौत, मानहानि केस रद्द करने की मांग
कंगना रनौत एक बार फिर कानूनी विवाद में घिर गई हैं. वर्ष 2021 में किसान आंदोलन के दौरान दिए गए उनके एक बयान को लेकर दर्ज मानहानि के मामले में अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

Kangana Ranaut reached Supreme Court: बॉलीवुड अभिनेत्री और भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत एक बार फिर कानूनी विवाद में घिर गई हैं. वर्ष 2021 में किसान आंदोलन के दौरान दिए गए उनके एक बयान को लेकर दर्ज मानहानि के मामले में अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. गुरुवार को दाखिल की गई याचिका में कंगना ने इस आपराधिक मानहानि केस को रद्द करने की गुहार लगाई है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ शुक्रवार को सुनवाई करेगी, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता शामिल हैं.
हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कंगना रनौत को इस मामले में कोई राहत देने से इनकार कर दिया था. अगस्त में सुनाए गए फैसले में हाईकोर्ट की जस्टिस त्रिभुवन दहिया की पीठ ने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट का समर्थन करने वाले बयान को जनहित या सद्भावना से जुड़ा हुआ नहीं माना जा सकता. कोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि अभिनेत्री की मंशा सही थी या नहीं.
कंगना के वकीलों की दलीलें खारिज
कंगना के वकीलों ने हाईकोर्ट में तर्क दिया था कि उनका ट्वीट या रीट्वीट बिना किसी दुर्भावना के किया गया और आईपीसी की धारा 499 के तहत वह अपवाद के दायरे में आती हैं. लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि मेन्स रीया (दुर्भावनापूर्ण मंशा) की अनुपस्थिति सिद्ध नहीं होती.
किसान आंदोलन के दौरान दिए थे विवादित बयान
विवाद की जड़ साल 2021 के किसान आंदोलन के दौरान कंगना रनौत द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए कई विवादित पोस्ट हैं. उन्होंने आंदोलनकारी किसानों की तुलना खालिस्तानी आतंकियों से की थी, जिसे लेकर व्यापक आलोचना हुई थी. इसके अलावा जब पॉप स्टार रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों के समर्थन में ट्वीट किया, तो कंगना ने रिहाना को मूर्ख तक कह दिया था.
जब केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिया, तो कंगना ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा था कि भारत को इस तरह के आंदोलनों से कमजोर किया जा रहा है. इन बयानों के चलते कंगना के खिलाफ कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए और अंततः मानहानि का केस दायर किया गया.


