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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने उठाया ऐसा कदम, जो बदल देगा पूरे युद्ध का समीकरण

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने सुरक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है. तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और अनुशासन को बढ़ावा देने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं. इससे दुश्मनों को मिलकर कड़ा जवाब देने की क्षमता और भी मजबूत होगी.

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

नई दिल्ली.'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता के बाद केंद्र सरकार ने देश की तीनों सेनाओं—थल, वायु और नौसेना—के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है. अब इंटर-सर्विस ऑर्गनाइजेशन (ISO) को ऐसे अधिकार मिल चुके हैं, जो पहले केवल यूनिट विशेष तक सीमित रहते थे. इसके तहत ISO के प्रमुख को सभी सैन्य शाखाओं के अधिकारियों और जवानों को आदेश देने का अधिकार मिलेगा. इससे सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल बनेगा और ऑपरेशनल निर्णय तेजी से लिए जा सकेंगे. इस कदम से लड़ाई के मैदान में भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. 

नए नियमों के तहत, अब ISO के अधिकारी न सिर्फ आदेश दे सकेंगे बल्कि अनुशासनात्मक कार्रवाई भी कर पाएंगे. पहले एक सेना के अधिकारी को दूसरी सेना के जवान पर कार्रवाई करने के लिए संबंधित यूनिट में भेजना पड़ता था. इससे न केवल समय बर्बाद होता था, बल्कि कई बार मामलों में देरी भी होती थी. अब यह बाधा पूरी तरह खत्म हो गई है. मंगलवार से यह नया कानून पूरी तरह लागू कर दिया गया है. इससे सख्त अनुशासन और बेहतर प्रशासनिक नियंत्रण संभव होगा.

थिएटर कमांड की राह में नया पड़ाव

सरकार भविष्य में एकीकृत थिएटर कमांड बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. नए नियम इसी प्रक्रिया का अहम हिस्सा हैं. थिएटर कमांड के तहत किसी एक भौगोलिक या रणनीतिक क्षेत्र में सेना, वायुसेना और नौसेना की यूनिट्स एकसाथ काम करेंगी. इन पर एक ही कमांडर का नियंत्रण होगा, जिससे युद्ध की रणनीति और क्रियान्वयन में जबरदस्त तेजी आएगी. इस बदलाव से सैन्य शक्ति का केंद्रीकरण होगा और निर्णय लेने में बाधाएं नहीं आएंगी.

संसद से मंजूरी, अब ज़मीन पर कार्रवाई

यह बदलाव 2023 के मानसून सत्र में संसद के दोनों सदनों से पारित हुए बिल का परिणाम है. मई 2024 से यह कानून प्रभावी हो चुका है और अब धारा 11 के तहत बने नए नियमों के अनुसार कार्य होगा. अधिकारियों का मानना है कि यह कदम अंतर-सेवा संगठनों को और ज्यादा प्रभावी बनाएगा. इससे न केवल संचालन में तेजी आएगी बल्कि तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता भी और मजबूत होगी.

बदलाव जो सुरक्षा का चेहरा बदल देगा

पहले की व्यवस्था में अधिकार सीमित थे. उदाहरण के लिए, अगर कोई नौसेना अधिकारी अपनी यूनिट में मौजूद थलसेना के सैनिक पर कार्रवाई करना चाहता था, तो उसे संबंधित सेना के पास भेजना पड़ता था. यह प्रक्रिया समय लेने वाली और अप्रभावी थी. नए नियमों ने इस असमंजस को खत्म कर दिया है और अब हर अधिकारी को पूरे ISO दायरे में अधिकार मिलेगा. यह स्पष्ट प्रशासनिक नियंत्रण का संकेत है.

एक लक्ष्य, एक देश, एक सेना की भावना

सरकार का उद्देश्य है कि भारत की तीनों सेनाएं सिर्फ रणनीति में नहीं, बल्कि हर स्तर पर एकजुट हों. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता ने यह साबित किया कि जब तीनों सेनाएं साथ होती हैं, तो दुश्मन का कोई ठिकाना नहीं बचता. अब, इन नियमों के लागू होने से सेना पहले से कहीं अधिक चुस्त, प्रभावी और संगठित होगी. यह सिर्फ एक कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को नया आधार देने वाला ऐतिहासिक निर्णय है.

अब फैसले मैदान में नहीं, रणनीति से होंगे

भारत की सेना अब किसी भी खतरे का जवाब एक साथ, तेज़ी से और पूरी ताकत से देने में सक्षम होगी. इसका असर सिर्फ युद्ध की ज़रूरतों तक नहीं बल्कि शांति काल में भी प्रशासनिक दक्षता में दिखेगा. भारत ने यह तय कर लिया है कि अब किसी भी स्थिति में वह तैयार रहेगा—और यह तैयारी सिर्फ हथियारों की नहीं, सिस्टम की भी होगी.

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29 May 2025, 07:01 PM IST

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