मेडिकल क्षेत्र में नई क्रांति: न एंबुलेंस, न कार, ड्रोन से 20 मिनट में 35km दूर पहुंचेगा बल्ड
दिल्ली की जाम भरी सड़कों को चकमा देकर, एक ड्रोन ने खून से भरी थैली को 15 मिनट में 35 किलोमीटर दूर पहुंचा दिया! जून की आईसीएमआर रिपोर्ट के अनुसार ड्रोन इमरजेंसी सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं.

Drone Blood Delivery: ग्रेटर नोएडा के जीआईएमएस अस्पताल से दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में ब्लड की थैलियां ड्रोन के जरिए मात्र 15 मिनट में पहुंचाई गईं. यह कार्य 2023 में होना था, लेकिन आईसीएमआर की वैज्ञानिक टीम ने हाल ही में इस तकनीक की सफलता और संभावनाओं पर पूरा रिपोर्ट प्रकाशित की है. एम्बुलेंस की तुलना में ड्रोन एक घंटे से भी अधिक समय की बचत कर मेडिकल के क्षेत्र में एक नई क्रांति का मार्ग ला दिया है. आईसीएमआर के इस अध्ययन में कहा गया है कि ड्रोन चिकित्सा आपात स्थितियों में सुरक्षित और तेज वाहन के रूप में काम कर सकते हैं. जो खासकर दूरदराज के इलाकों में जीवन रक्षक साबित हो सकती है.
आईसीएमआर अध्ययन
आईसीएमआर के जून 2025 में प्रकाशित अध्ययन 'रक्त वितरण के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाना, अब ड्रोन के माध्यम से रक्त और उसके घटकों का परिवहन सुरक्षित, तेज और प्रभावशाली पाया गया. ड्रोन ने हेलीकॉप्टर जैसी उड़ान भरने और उतरने की क्षमता के साथ लगभग 4 से 6 ब्लड बैग और 4 किलोग्राम वजन वाले ठंडे जेल पैक ले जाने में सफलता दिखाई. भारत के ड्रोन सुरक्षा नियमों का पूर्ण पालन करते हुए उड़ानों के दौरान ब्लड की गुणवत्ता और टेंपरेचर नियंत्रण को भी सुनिश्चित किया गया.
ब्लड की क्वालिटी और टेंपरेचर
अध्ययन में यह पाया गया कि ड्रोन से परिवहन के दौरान ब्लड में कोई नुकसान नहीं हुई. तापमान लगातार सुरक्षित सीमा के भीतर रहा. हालांकि कुछ रक्त घटकों में छोटे-मोटे बदलाव देखे गए, परंतु ये परिवर्तन ड्रोन और वैन दोनों के परिवहन में समान थे. इस बात से यह सिद्ध होता है कि ड्रोन आपातकाल में रक्त वितरण के लिए एक विश्वसनीय विकल्प हो सकता है.
चुनौतियां और आवश्यकताएं
ड्रोन के जरिए बल्ड वितरण में कई चुनौतियां भी हैं. तापमान नियंत्रण की सख्ती, ड्रोन के कंपनों का बल्ड घटकों पर प्रभाव, उड़ान से पहले आवश्यक जांच, विमानन नियमों का पालन और हवाई यातायात नियंत्रण के साथ समन्वय जैसी तकनीकी और नियामक बाधाएं मौजूद हैं. आईसीएमआर ने इस बात ध्यान दिया कि ब्लड की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बल्ड का तापमान बनाए रखने वाली शीतलन प्रणाली और वास्तविक समय निगरानी आवश्यक है. इसके अलावा, एक अखिल भारतीय नियामक ढांचे की भी जरूरत है ताकि ड्रोन तकनीक का सुरक्षित और प्रभावी संचालन हो सके.
ड्रोन तकनीक और आगे के कार्य
भारत में ड्रोन तकनीक स्वास्थ्य सेवा में नई क्रांति लेकर आ रही है. मच्छर जनित बीमारियों से लड़ने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल और आंखों के ऊतकों की डिलीवरी में भी ड्रोन सफल साबित हो रहे हैं. आईसीएमआर के अध्ययन में कहा गया है कि ड्रोन एम्बुलेंस की जगह तुरंत नहीं ले पाएंगे, लेकिन ट्रैफिक जाम जैसी परिस्थितियों में यह जीवन रक्षक साबित हो सकते हैं. लेकिन ड्रोन के माध्यम से परिवहन के बाद बल्ड की गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव, व्यावहारिकता और परिचालन चुनौतियों के बारे में अधिक वैज्ञानिक प्रमाण की आवश्यकता है.
आईसीएमआर के इस अध्ययन ने साबित किया है कि ड्रोन रक्त और उसके घटकों के परिवहन में दक्षता और सुरक्षा दोनों प्रदान कर सकते हैं. तकनीकी चुनौतियां और नियामक बाधाएं तो हैं, लेकिन सावधानीपूर्वक नियोजन और निगरानी के साथ ड्रोन मेडिकल के क्षेत्र में गेमचेंजर साबित हो सकते हैं. भारत में स्वास्थ्य सेवा को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है.


