महाकुंभ का नाम लेते ही 15 साल बाद लौटी खोई याददाश्त, होटल में काम करने वाला शख्स परिवार से मिला
प्रकाश पश्चिम बंगाल के कोलकाता में म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में काम करते थे, लेकिन 9 मई 2010 को वह ड्यूटी पर जाते वक्त लापता हो गए थे. मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह रास्ता भूल गए थे और घर वापस नहीं लौट पाए. पुलिस और परिवार ने बहुत प्रयास किए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.

Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान एक अजीब और दिल को छू लेने वाली घटना घटी, जिसने एक परिवार को 15 वर्षों बाद अपने खोए हुए सदस्य से मिला दिया. यह मामला झारखंड के कोडरमा जिले के मरकच्चो थाना क्षेत्र के निवासी प्रकाश महतो का है, जो 2010 में अचानक लापता हो गए थे. उस समय प्रकाश पश्चिम बंगाल के कोलकाता में म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में काम करते थे, लेकिन 9 मई 2010 को वह ड्यूटी पर जाते वक्त लापता हो गए थे. मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह रास्ता भूल गए थे और घर वापस नहीं लौट पाए. पुलिस और परिवार ने बहुत प्रयास किए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.
प्रकाश महतो को 15 साल बाद रानीगंज स्थित एक होटल में काम करते पाया गया. होटल के मालिक सुमित साव ने प्रकाश को ‘पहलवान’ नाम से पुकारा था और कई सालों से वह उनके होटल में काम कर रहे थे. हाल ही में होटल में महाकुंभ का जिक्र हुआ, तो प्रकाश महतो ने अचानक कहा कि वह कुंभ में जाना चाहते हैं, क्योंकि उनका घर उसी रास्ते में है. यह सुनकर सुमित साव को शक हुआ और उन्होंने प्रकाश से उनके परिवार की जानकारी ली. इसके बाद सुमित ने इंटरनेट के जरिए कोडरमा पुलिस से संपर्क किया और प्रकाश की पहचान की पुष्टि होते ही मरकच्चो थाना को सूचना दी.
15 साल बाद परिवार से मिला शख्स
परिवार को खबर मिलते ही प्रकाश महतो की पत्नी गीता देवी, बेटा सुजल और बेटी रानी तुरंत रानीगंज पहुंचे. अपने पति और पिता को देखकर उनके आंखों में खुशी के आंसू थे. जिन्हें कई सालों से अपने पिता की केवल तस्वीरें देखी थीं, वे अब उन्हें अपने पास पाकर भावुक हो गए. गीता देवी ने बच्चों की परवरिश मजदूरी करके की थी, क्योंकि परिवार को उम्मीद नहीं थी कि प्रकाश कभी लौटेंगे. वे यह सोच चुके थे कि प्रकाश को मृत मान लिया जाए, क्योंकि कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था और परिवार को नौकरी की पेशकश की थी.
परिवार में खुशी का महौल
अब परिवार में खुशी का माहौल है, जैसे दीवाली और होली एक साथ मनाई जा रही हो. रिश्तेदार और पड़ोसी प्रकाश से मिलने आ रहे हैं. उनके चचेरे भाई, कार्तिक वर्मा, जो शिक्षक हैं, ने इस घटना को चमत्कार बताया. होटल मालिक और उसके परिवार के सदस्य भी भावुक हो गए, क्योंकि वे प्रकाश को अपने परिवार का हिस्सा मानने लगे थे. अब यह परिवार महाकुंभ में गंगा स्नान करने जाएगा, जहां 15 साल बाद एक बिछड़ा व्यक्ति अपने परिवार से जुड़ा. महाकुंभ न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह मिलन और चमत्कारों का प्रतीक भी बन चुका है.


