भारत के लिए चुनौती पर... सऊदी अरब-PAK के रणनीतिक रक्षा समझौते पर पूर्व राजदूत ने कही ये बात
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रणनीतिक रक्षा समझौते को लेकर भारत में चिंता जताई गई है. पूर्व राजदूतों ने कहा कि यह भारत के लिए सकारात्मक घटनाक्रम नहीं है और इससे भारत पर प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत-सऊदी रिश्ते मजबूत बने रहेंगे. भारत सरकार ने कहा है कि वह इस समझौते के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर का मूल्यांकन करेगी.

India On Saudi Pak Relations : सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच कुछ दिन पहले हुए रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते को लेकर भारत में गंभीर चिंताएं जताई गई हैं. इस समझौते के तहत, अगर किसी एक देश पर हमला होता है, तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा. समझौते पर पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने हस्ताक्षर किए. यह घटना ऐसे समय में हुई जब खाड़ी क्षेत्र पहले से ही हमास और इजरायल के संघर्ष के कारण तनावग्रस्त है.
पूर्व भारतीय राजदूतों की प्रतिक्रिया
भारत के मजबूत रिश्ते जारी रहेंगे
हालांकि, दोनों राजनयिकों ने यह भी रेखांकित किया कि भारत-सऊदी संबंध पहले से ही बहुआयामी और रणनीतिक रूप से मजबूत हैं. अशोक कंठ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हालांकि सऊदी का यह कदम भारत के लिए चिंता का कारण है, लेकिन इससे भारत और सऊदी अरब के दीर्घकालिक रिश्तों पर गंभीर असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारत को जल्दबाजी में निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए क्योंकि यह संबंध "कई स्तंभों पर आधारित हैं".
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
भारत सरकार भी इस घटनाक्रम से अनजान नहीं है. विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि वह इस समझौते के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करेगा. साथ ही यह स्पष्ट संकेत दिया गया कि भारत सऊदी अरब से बातचीत जारी रखेगा और रिश्तों को स्थिर बनाए रखेगा.
भविष्य की रणनीति की आवश्यकता
भारत के सामने अब चुनौती यह है कि वह एक ओर पाकिस्तान और सऊदी के नजदीकियों को गंभीरता से लेते हुए अपनी सुरक्षा रणनीति मजबूत करे और दूसरी ओर सऊदी अरब के साथ आर्थिक, ऊर्जा, और रणनीतिक साझेदारी को बरकरार रखे. ऐसे में संतुलन बनाए रखना भारत की कूटनीतिक कुशलता की अग्नि-परीक्षा होगी.


