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अभी भी दक्षिण कश्मीर में छिपे हो सकते हैं पहलगाम के आतंकवादी : एनआईए सूत्र

पहलगाम नरसंहार को कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन हमलावरों का कोई ठोस सुराग अब तक नहीं मिला. एनआईए को अंदेशा है कि आतंकी अब भी दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में छिपे हो सकते हैं. जहां तलाशी अभियान को और तेज कर दिया गया है. 

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

नई दिल्ली. पिछले सप्ताह हुए पहलगाम नरसंहार के बाद भी आतंकियों की तलाश पूरी नहीं हो पाई है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस हमले में शामिल कुछ आतंकवादी अभी भी दक्षिण कश्मीर के गहरे और दुर्गम जंगलों में छिपे हो सकते हैं. जांच में जुड़े अधिकारियों का मानना है कि इस हमले के दौरान सिर्फ हमलावर ही नहीं, बल्कि उनके कुछ साथी भी आसपास के इलाकों में तैनात थे, जो कि सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई के दौरान कवर देने के लिए तैयार थे.

जंगलों में आत्मनिर्भर होकर छिपे हैं आतंकी

सूत्रों के मुताबिक, इस आतंकी समूह ने खुद को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना रखा है. वे अपने साथ खाने-पीने का सामान और दूसरी जरूरी चीज़ें लेकर चलते हैं ताकि उन्हें बाहर से किसी सहायता की जरूरत न पड़े. यही वजह है कि ये लोग पहाड़ी इलाकों में लंबे वक्त तक छिपकर रह सकते हैं, और इनका पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा है.

उन्नत तकनीक से कर रहे हैं संपर्क, नहीं मिल रहे कोई सुराग

जांचकर्ताओं को एक और मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है — आतंकियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही हाई-टेक कम्युनिकेशन प्रणाली. सूत्रों ने बताया है कि ये आतंकी एक बेहद सुरक्षित संचार प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसमें सिम कार्ड की ज़रूरत नहीं पड़ती और कम दूरी में एन्क्रिप्टेड संदेशों का आदान-प्रदान संभव होता है. इसी वजह से इनकी ट्रैकिंग लगभग नामुमकिन हो गई है.

प्लानिंग थी सटीक, टोह ले चुके थे हमले से पहले

एनआईए की शुरुआती जांच में सामने आया है कि इन आतंकियों ने हमले से एक हफ्ते पहले यानी 15 अप्रैल को इस क्षेत्र की गहन टोह ली थी. कहा जा रहा है कि उन्होंने तीन अलग-अलग स्थानों पर रेकी की, जिनमें एक स्थानीय मनोरंजन पार्क भी शामिल था. लेकिन वहां भारी सुरक्षा के चलते उन्होंने योजना बदल दी.

भीड़ को धार्मिक आधार पर तोड़ने की कोशिश, फिर अंधाधुंध गोलीबारी

गवाहों के अनुसार, Attackers ने सबसे पहले भीड़ को धर्म और लिंग के आधार पर बांटने की कोशिश की. उन्होंने लोगों से कलमा पढ़ने के लिए कहा और जब भीड़ ने इसका विरोध किया, तो Terrorists  ने सीधे फायरिंग शुरू कर दी. हमले में सबसे ज्यादा नुकसान उस इलाके में हुआ, जहां चाय और भेलपुरी की दुकानें थीं और बड़ी संख्या में पर्यटक जमा थे. Investigative agencies का मानना है कि हमलावर हमले के बाद पार्क की बाईं दीवार फांदकर भाग निकले. अब सुरक्षा एजेंसियों की नज़र उन जंगलों पर है, जहां ये आतंकी अभी भी छिपे हो सकते हैं.

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01 May 2025, 02:24 PM IST

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