कर्नाटक में कांग्रेस की फर्जी गारंटियों से लोगों का हुआ मोहभंग, आज हुए चुनाव तो प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी कर सकती है वापसी
2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की लोकप्रियता घटकर भाजपा का दबदबा बढ़ गया है. महंगाई, कमजोर आर्थिक नीतियों और अधूरी योजनाओं से जनता खासकर युवा, किसान और मध्यम वर्ग कांग्रेस से दूर हो रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता भाजपा की बढ़त का प्रमुख कारण है. जातिगत समीकरण भी भाजपा के पक्ष में बदल रहे हैं. कर्नाटक में भाजपा विकास और सुशासन के एजेंडे के साथ 2028 चुनावों में मजबूत स्थिति में है.

2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद से राज्य की राजनीति में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिल रहे हैं. जहां पहले कांग्रेस को व्यापक जनसमर्थन मिला करता था, वहीं अब वह जनता की नाराजगी का सामना कर रही है. हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण ने कांग्रेस के असंतोष और भाजपा के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट कर दिया है. यह बदलाव कांग्रेस सरकार की कमजोरियों और भाजपा के प्रति जनता के बढ़ते विश्वास का नतीजा है.
सीटों की बढ़ती संख्या में भाजपा की छलांग
2023 के चुनाव परिणामों के बाद हुए सर्वे में पता चला है कि अगर अभी चुनाव होते हैं तो भाजपा के सीटों की संख्या लगभग दोगुनी हो सकती है. यह बदलाव कांग्रेस के दो साल के शासन में सरकार द्वारा किए गए वादे पूरा न करने, बढ़ती महंगाई और शासन की नाकामियों के कारण हुआ है. कन्नड़ जनता अब कांग्रेस के धैर्य की सीमा पार कर चुकी है और भाजपा के विकास एजेंडे को प्राथमिकता दे रही है.
वोट शेयर में भाजपा का बढ़ता दबदबा
सर्वेक्षण में यह भी उजागर हुआ है कि भाजपा ने कांग्रेस को वोट शेयर के मामले में पीछे छोड़ दिया है. कांग्रेस की घोषणाएं और योजनाएं, जैसे युवा निधि और गृह लक्ष्मी, प्रभावी साबित नहीं हुईं और लोगों में असंतोष बढ़ा. बढ़ती महंगाई ने मध्यम वर्ग और युवाओं को खासा प्रभावित किया है, जिससे वे भाजपा की ओर बढ़ रहे हैं.
मतदाता वर्ग में बदलाव
सर्वेक्षण के मुताबिक, 52% से अधिक पुरुष और 49% महिलाएं कांग्रेस से दूरी बना रही हैं. खासकर युवा वर्ग, जो पहली बार वोट दे रहे हैं, उनमें भाजपा का समर्थन 56% तक पहुंच गया है. वहीं 26-50 आयु वर्ग के बीच भी कांग्रेस के खिलाफ रुझान स्पष्ट है. ग्रामीण इलाकों में भी भाजपा का प्रभाव 52% से ऊपर पहुंच चुका है, जो पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाता था.
मोदी का कर्नाटक में दबदबा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कर्नाटक में भाजपा के समर्थन का बड़ा कारण बनी है. भाजपा समर्थकों में लगभग 74% मोदी को पसंद करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस और JD(S) के मतदाता आधार में भी मोदी को भारी समर्थन मिलता है, जबकि राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेता कहीं पीछे रह जाते हैं. यह दर्शाता है कि मोदी की छवि व्यापक जातीय समूहों में गहरी पैठ बना चुकी है.
जातिगत समीकरणों में बदलाव
कर्नाटक में कांग्रेस के जाति आधारित तुष्टिकरण रणनीति अब काम नहीं कर रही. कई पारंपरिक समर्थक समुदाय, जैसे कुरुबा, वोक्कालिगा, और मडिगा, भाजपा की ओर रुख कर रहे हैं. जाति जनगणना को लेकर हुए विवाद ने भी कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचाया है. भाजपा ने विभिन्न समुदायों की मांगों को स्वीकार कर अपनी पकड़ मजबूत की है.
समाज के विभिन्न वर्ग भाजपा की ओर
कामकाजी वर्ग, किसान, शिक्षक, और युवा अब भाजपा को प्रगति का मार्ग मान रहे हैं. कांग्रेस की कमजोर आर्थिक नीतियों और अधूरी योजनाओं ने लोगों में निराशा बढ़ाई है. किसान खासकर भाजपा की किसान समर्थक नीतियों की वजह से उसके साथ खड़े हैं. महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों में भी कांग्रेस की योजनाओं की विफलता ने असंतोष बढ़ाया है.
कर्नाटक का भविष्य: भाजपा का बढ़ता दबदबा
कर्नाटक की जनता अब भाजपा को एक मजबूत, विकास-प्रधान पार्टी के रूप में देख रही है, जबकि कांग्रेस अपने पारंपरिक वोट बैंक और वादों से पिछड़ती जा रही है. भाजपा का नेतृत्व राष्ट्रीय शक्ति, विकास और सम्मान पर केंद्रित है, जो कर्नाटक के मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है. यह बदलाव आगामी 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए संकेत भी देता है, जहां भाजपा का दबदबा और मजबूत होने की संभावना है.


