पुतिन की तारीफ, चीन के साथ फिर से संबंधों को नया रूप देना...विदेश नीति में भारत की बेलेंसिग एक्ट पॉलिसी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने से भारत और अमेरिका के संबंधों में खटास आई है, जिससे भारत रूस और चीन की ओर रणनीतिक रूप से झुकता दिख रहा है. मोदी-पुतिन की मित्रता, भारत-चीन संवाद और अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत अपनी स्वायत्त विदेश नीति पर जोर दे रहा है.

Modi Putin friendship: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ में जबरदस्त वृद्धि ने यह संकेत दिया है कि भारत धीरे से अमेरिका से दूरी बना रहा है, जबकि उसकी रूस और चीन के साथ रिश्तों में सक्रियता बढ़ रही है. यह वैश्विक भू‑राजनीतिक बदलाव का एक स्पष्ट संकेत है.
मोदी-पुतिन की मित्रता
अलास्का में ट्रंप से शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक मित्र बताया और दोनों ने इस बात पर सहमति जताई कि वे संपर्क और संवाद बनाए रखेंगे. मोदी ने फोन कॉल के दौरान दोहराया कि भारत यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है और इस दिशा में सभी प्रयासों का समर्थन करता है.
पुतिन का ब्राजील और चीन से संपर्क
पुतिन ने इस बात की जानकारी भी दी कि उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो दा सिल्वा को इस साल की शुरुआत में फोन करके अलास्का की बातचीत से अवगत कराया. साथ ही, उन्होंने ब्राजील को शांति के लिए मित्र समूह में शामिल करने का स्वागत किया, जिसमें चीन भी सम्मिलित है. यही नहीं, पुतिन ने इस महीने की शुरुआत में मोदी, ब्राज़ील के लुला और चीन के शी जिनपिंग से भी बातचीत की, जो सभी BRICS सदस्य हैं.
भारत-चीन संबंधों में नरमी
ठीक उसी समय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत हुई. वांग तीन साल बाद भारत की यात्रा पर थे. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि हमारे बीच मतभेद विवाद या प्रतिस्पर्धा में नहीं बदलने चाहिए. वांग ने वैसी ही सहमति जताई और कहा कि चीन और भारत को एक-दूसरे को साझेदार और अवसर के रूप में देखना चाहिए, न कि विरोधी के रूप में.
चीन द्वारा सहयोग का आश्वासन
चीन ने निजी रूप से भारत को उर्वरक, दुर्लभ मृदा तत्व और आधारभूत संरचना उपकरणों की आपूर्ति का भरोसा दिलाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आर्थिक सहयोग और भरोसा बढ़ रहा है.
अमेरिकी टैरिफ तनाव
ट्रंप प्रशासन ने रूस से भारत की तेल खरीद पर प्रतिक्रिया स्वरूप भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगा दिया है. इस तनाव ने भारत को नए भू‑रणनीतिक विकल्पों में झुकाव करने के लिए प्रेरित किया है. भारत ने रूसी तेल पर निर्भरता बनाए रखी है और पश्चिमी प्रतिबंधों का विरोध किया है, जिससे उसकी रणनीतिक स्वतंत्रता पर जोर मिलता है.
रणनीतिक परिवर्तन
इतिहासिक रूप से भारत और चीन सीमाओं और संघर्ष के चलते दूर-पुरस्कार रहे हैं. लेकिन अब टैरिफ युद्ध, तेल नीति और अमेरिका के निगरानी रवैये ने दोनों को सहमति से कदम बढ़ाने की ओर प्रेरित किया है. विशेषज्ञ इसे एक मित्रता नहीं, बल्कि अस्तित्व की रणनीति कह रहे हैं.
मोदी की चीन यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में भाग लेने और शी जिनपिंग से मिलने चीन जा सकते हैं. यह भारत की सात वर्ष बाद पहली यात्रा होगी, जिससे संकेत मिलता है कि भारत-चीन रिश्तों में नई गति की अपेक्षा है. जयशंकर ने वांग से बातचीत में इसे स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी संबंध के निर्माण की दिशा में एक कदम बताया.


