ब्यास नदी के उफान से मंडी सहमी, क्या खतरे में हैं डैम? हिमाचल में भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त
भारी बारिश के बाद हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में ब्यास नदी उफान पर है, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. मौसम विभाग ने राज्य में रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि मंडी में सबसे ज्यादा नुकसान दर्ज हुआ है. प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है और आश्वस्त किया है कि सभी प्रमुख बांध सुरक्षित हैं.

Himachal Flood: भारी बारिश के चलते हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में ब्यास नदी का जलस्तर बुधवार को खतरनाक स्तर तक पहुंच गया, जिससे इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राज्य में रेड अलर्ट जारी किया है. रातभर हुई मूसलधार बारिश के बाद जब स्थानीय लोगों ने नदी के पानी को उफान मारते देखा, तब प्रशासन और आपातकालीन टीमें तुरंत हरकत में आ गईं.
हालांकि, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HPSDMA) और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को आश्वस्त किया है कि राज्य के सभी प्रमुख बांध फिलहाल सुरक्षित हैं और उनकी जलधारण क्षमता भी नियंत्रण में है. प्रशासन की ओर से लगातार निगरानी रखी जा रही है और आवश्यकता पड़ने पर जल निकासी की प्रक्रिया को तत्परता से अंजाम दिया जाएगा.
मंडी में 406 सड़कें बंद
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार, भारी बारिश के कारण हिमाचल में कुल 406 सड़कें बंद हैं, जिनमें से 248 सड़कें केवल मंडी जिले में प्रभावित हैं. इसके अलावा, मंडी में 994 ट्रांसफॉर्मर भी बंद हो चुके हैं, जिससे बिजली आपूर्ति पर असर पड़ा है.
बांधों का हाल: फिलहाल खतरे की कोई आशंका नहीं
HPSDMA ने बुधवार सुबह 7 बजे जारी अपनी आधिकारिक रिपोर्ट में कहा कि राज्य के किसी भी जलाशय से अतिप्रवाह की कोई स्थिति नहीं बनी है. वर्तमान में सभी प्रमुख बांधों के जलस्तर नियंत्रण सीमा के भीतर हैं.
प्रमुख बांधों का ताजा अपडेट
सतलुज नदी बेसिन
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करछम बांध में 869.17 क्यूमैक्स जल का प्रवाह दर्ज हुआ, जिसमें से 410.21 क्यूमैक्स स्पिलवे और 477.99 क्यूमैक्स मशीन डिस्चार्ज से निकासी की गई.
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नाथपा बांध में 915 क्यूमैक्स इनफ्लो और 512.26 क्यूमैक्स का आउटफ्लो दर्ज किया गया.
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कोल बांध की जलधारण सतह 637.59 मीटर है (जबकि अधिकतम स्तर 642 मीटर है), जिसमें 1,231 क्यूमैक्स इनफ्लो और 734 क्यूमैक्स का मशीन आउटफ्लो दर्ज हुआ.
ब्यास नदी बेसिन
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पंडोह बांध में 826.59 क्यूमैक्स इनफ्लो और 673.5 क्यूमैक्स का सम्मिलित स्पिलवे व मशीन आउटफ्लो रहा.
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लारजी बैराज में 734.14 क्यूमैक्स का जल आगमन और कुल 691.13 क्यूमैक्स का जल निकासी रहा (457 क्यूमैक्स स्पिलवे और 234.13 क्यूमैक्स टरबाइन से).
अस्थायी बंद और सुरक्षा उपाय
भारी बारिश के कारण कुछ परियोजनाओं को अस्थायी रूप से बंद किया गया है. बैरा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (HEP) को बुधवार सुबह 7 बजे अत्यधिक सिल्ट (गाद) स्तर के कारण बंद करना पड़ा. इसी तरह, सैंज बैराज और पार्वती-द्वितीय परियोजनाएं भी अभी तक संचालन में नहीं आ सकीं.
वहीं, मलाणा-II हाइड्रो प्रोजेक्ट बीते वर्ष 1 अगस्त 2024 से ही बंद है, जब क्षेत्र में अचानक बाढ़ आई थी. वर्तमान में इस बांध के गेट खुले रखे गए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में पानी स्वतः निकलता रहे.
प्रशासन का आश्वासन
HPSDMA के प्रवक्ता ने कहा, "फिलहाल किसी भी तरह के खतरे की स्थिति नहीं है. सभी प्रवाहों को सावधानी से नियंत्रित किया जा रहा है और समय रहते पानी छोड़ा जा रहा है ताकि निचले क्षेत्रों में बाढ़ से बचा जा सके. आम जनता को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क जरूर रहें."
उन्होंने यह भी जोड़ा कि लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन की घटनाओं के बावजूद बांध सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है और आपात योजना पूरी तरह सक्रिय है. अगर स्थिति और बिगड़ती है तो पूर्व-निर्धारित निकासी योजनाएं तुरंत अमल में लाई जाएंगी.


