नामांकन की आखिरी तारीख करीब...लेकिन RJD-कांग्रेस के बीच सीटों पर नहीं बन रही सहमति, खड़गे-राहुल से मिले बिना पटना लौटे तेजस्वी
RJD vs Congress seat dispute: बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के रुख सख्त हैं. कुछ प्रमुख सीटों पर मतभेद जारी हैं. वीआईपी की भूमिका भी असमंजस में है. कांग्रेस ने 51 मजबूत सीटें चिन्हित कर रखी हैं.

RJD vs Congress seat dispute: बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी अब सीट बंटवारे के जटिल दांव‑पेंच में अंत तक पहुंच चुकी है. महागठबंधन की अगुवाई कर रही राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान बढ़ गई है. तेजस्वी यादव कांग्रेस को दिए ऑफर पर अड़े हैं, वहीं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस को कड़ा रुख अपनाने का निर्देश दिया है. दिल्ली में आयोजित एक अहम बैठक भी दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बना सकी.
कांग्रेस की मांग
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेताओं के सामने तेजस्वी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मौजूदा हालात में गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता. बैठक से निकलते वक्त उन्होंने कहा कि देखेंगे और जवाब देंगे और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे या राहुल गांधी से मिलना जरूरी नहीं समझा. इसके बाद वे तुरंत पटना लौट गए.
वहीं, पटना में लालू यादव ने बिना सीट फार्मूला तय किए ही आरजेडी का चुनाव चिन्ह बांटना शुरू कर दिया. हालांकि कहा जा रहा है कि जब तेजस्वी पहुंचे, तब कुछ चिन्ह वापस लिए गए. बताया जाता है कि आरजेडी कांग्रेस को 61 सीटों की मांग स्वीकार करने को तैयार है, लेकिन कांग्रेस उन सीटों की मांग कर रही है, जिन्हें देना आरजेडी के लिए स्वीकार्य नहीं है.
विवादित सीटें: कहलगांव, नरकटियागंज और अन्य
कुछ सीटों पर सहमति बनाने में विशेष जटिलता बनी हुई है: कहलगांव, नरकटियागंज, वारिसलीगंज, चैनपुर और बछवाड़ा. कहलगांव कांग्रेस का मजबूत गढ़ है, जहां वह हमेशा से सक्रिय रही है. नरकटियागंज में मुस्लिम आबादी अधिक है, जिससे कांग्रेस को मौके का भरोसा है. वारिसलीगंज में 2020 में कांग्रेस उम्मीदवार को बेहद कम अंतर से हार मिली थी. चैनपुर और बछवाड़ा पर अब तक कोई समाधान नहीं निकला है.
मुकेश सहनी को लेकर सतर्कता
तेजस्वी यादव विशेष रूप से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और मुकेश सहनी की भूमिका पर सतर्क दिख रहे हैं. आरजेडी के सूत्र मानते हैं कि सहनी भरोसेमंद नहीं हैं और अधिक मांगें कर रहे हैं. ऐसा भी माना जा रहा है कि सहनी बीजेपी के संपर्क में हैं.
महागठबंधन के अन्य नेताओं ने वीआईपी को लेकर तर्क दिया कि इस पर फैसला तेजस्वी ही लें. कांग्रेस के अंदर यह स्पष्ट है कि यदि तेजस्वी उन्हें गठबंधन से बाहर करना चाहें तो उन्हें समर्थन दिया जाएगा. मुकेश सहनी दिल्ली भी गए थे, मगर उन्होंने राहुल या खड़गे से मुलाकात नहीं की और वापस लौट गए.
कांग्रेस की रणनीति
राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस नेतृत्व को यह स्पष्ट किया कि वे सीटों पर समझौते के दौरान कमजोर न पड़ें. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को वह सीट नहीं छोड़नी चाहिए जिसमें पार्टी को मजबूत प्रदर्शन की संभावना हो. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिहार कांग्रेस को निर्देश दिया कि 14 अक्टूबर तक इस मसले को सुलझाया जाए. खड़गे ने यह भी प्रस्ताव रखा कि अगर वीआईपी गठबंधन छोड़ दे, तो कांग्रेस की सीटें बढ़ाकर 65 तक की जाएं. कांग्रेस 61–63 सीटों पर संतुष्ट है, लेकिन उसने यह शर्त भी रखी है कि वे कम महत्वपूर्ण सीटों को स्वीकार नहीं करेंगे.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, उन्होंने पहले ही 51 मजबूत सीटों की पहचान कर ली है, जहाँ पार्टी को 50% तक सफलता का भरोसा है और केंद्रीय चुनाव समिति ने उन सीटों को मान्यता दी है.


