Shashi Tharoor Controversy: जब भारत ने दुनिया को दिखाया दम, तभी थरूर ने खोल दी कांग्रेस की फूट — एक बयान से टूटी 'स्ट्राइक यूनिटी
पनामा में सर्जिकल स्ट्राइक पर शशि थरूर के बयान ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बीच उनका बयान न सिर्फ कांग्रेस में फूट का कारण बना, बल्कि बीजेपी को भी हमला करने का मौका दे गया है.

Shashi Tharoor Controversy: भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी और पाकिस्तान की सच्चाई दुनिया के सामने लाने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजा है. इस टीम में कांग्रेस नेता शशि थरूर भी शामिल हैं. विदेशों में विभिन्न मंचों पर यह टीम आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति को समझा रही है. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया था. यह मिशन भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक सोच का परिचायक है. इसके असर अब कई देशों में महसूस किए जा रहे हैं.
शशि थरूर का विवादित बयान और कांग्रेस में हलचल
पनामा में एक बहुपक्षीय कार्यक्रम में शशि थरूर ने कहा कि पहली बार बीजेपी सरकार में क्रॉस-बॉर्डर सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी. यह बयान सुनते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. कांग्रेस हाईकमान ने इस बयान को लेकर नाराजगी जताई. थरूर ने बाद में सोशल मीडिया पर सफाई दी कि उनका बयान आतंकवादी हमलों के जवाब में की गई कार्रवाई पर था, न कि युद्धों पर. उन्होंने कट्टर आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि वे उनकी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. उनका यह बयान पार्टी में मतभेदों को उजागर करता नजर आया.
कांग्रेस के अंदर सियासी जंग तेज
शशि थरूर के बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उदित राज ने उनपर हमला बोल दिया. उदित राज ने कहा कि थरूर बीजेपी के सुपर प्रवक्ता बन गए हैं. उन्होंने कहा, “जो बातें बीजेपी नेता नहीं कह पाते, थरूर कह रहे हैं.” इस विवाद ने कांग्रेस के भीतर पार्टी एकता पर सवाल खड़ा कर दिया है. राजनीतिक विद्रोह और आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं. यह सब ऑपरेशन सिंदूर के राजनीतिक फायदे को प्रभावित कर रहा है. पार्टी के अंदर चल रहे ये मतभेद आम जनता के लिए चिंता का विषय बन गए हैं.
ऑपरेशन सिंदूर का सैन्य और रणनीतिक महत्व
ऑपरेशन सिंदूर भारत की सशस्त्र सेना की ताकत और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रमाण है. इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया. इससे आतंकवादियों को बड़ा झटका लगा. भारत ने अपने सुरक्षाबलों की क्षमता साबित की. इसके जरिए भारत ने साफ कर दिया कि उसकी सेना सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगी. ऑपरेशन की सफलता ने देश में सुरक्षा के प्रति विश्वास बढ़ाया है.
विपक्षी बयानबाजी से बढ़ती राजनीति की गरमाहट
राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी चिंताजनक है. शशि थरूर के बयान ने कांग्रेस में फूट को बढ़ावा दिया है. विपक्षी दल इसे अपनी राजनीतिक लड़ाई में इस्तेमाल कर रहे हैं. देश की सुरक्षा पर राजनीति करना सही नहीं है. ऐसी हालात में सरकार और विपक्ष को राष्ट्रहित में एकजुट होना चाहिए. जनता भी उम्मीद करती है कि सुरक्षा मामलों को राजनीतिक चश्मे से परे रखा जाए.
सवाल बना रहता है—क्या होगा भारत की सुरक्षा का भविष्य?
सुरक्षा हितों के बीच सियासत का खेल बड़ा सवाल छोड़ जाता है. क्या देश की सुरक्षा को लेकर सभी राजनीतिक दल एक साथ आ पाएंगे? या मतभेदों की वजह से कमजोर पड़ेंगे? ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की ताकत दिखाई है, लेकिन राजनीतिक विवाद इसे कमजोर भी कर सकते हैं. अब वक्त है, जब राजनीति को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा जाए. तभी भारत आतंकवाद और सीमा पार खतरे से निपट सकता है. भविष्य में इसी बात का इंतजार रहेगा.


