'शुक्लाजी की जगह दलित को भेज देते...' शुभांशु शुक्ला को लेकर कांग्रेस नेता का विवादित बयान
उदित राज ने कहा मैं शुभांशु शुक्ला को शुभकामनाएं देता हूं कि वे सुरक्षित लौटें उनेहोंने वहां जो ज्ञान प्राप्त किया है. उसे यहां बिखेरें ताकि लोग लाभवन्ति हों.

Axiom-4 Mission: भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पूरी कर भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला सकुशल लौट आए हैं. उनकी ऐतिहासिक वापसी पर पूरा देश गौरवान्वित है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर आम नागरिकों तक हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज का एक बयान सुर्खियों में आ गया है, जिसमें उन्होंने कहा कि शुभांशु शुक्ला की जगह किसी दलित, SC, ST या OBC समुदाय के व्यक्ति को अंतरिक्ष में भेजा जाना चाहिए था.
उदित राज का बयान
मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज ने शुभांशु शुक्ला की वापसी पर बधाई तो दी, लेकिन साथ ही एक विवादास्पद टिप्पणी देते हुए उन्होंने कहा, 'मैं उनको (शुभांशु शुक्ला) शुभकामनाएं देता हूं लेकिन इस बार किसी दलित को भेजने की बारी थी. साथ ही उन्होनें कहा, पहले राकेश शर्मा भेजे गए थे और उस समय SC, ST या OBC समाज के लोग इतने पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. ऐसा तो नहीं कि NASA ने कोई परीक्षा ली और शुभांशु शुक्ला का चयन हो गया। उनकी जगह किसी दलित या OBC को भी भेजा जा सकता था.'
18 दिन के अंतरिक्ष यात्रा के बाद शुभांशु की वापसी
Axiom-4 मिशन का हिस्सा रहे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों और अभियानों में शामिल रहे। इस सफर के साथ वह भारत के ऐसे दूसरे नागरिक बन गए हैं जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की है। इससे पहले विंग कमांडर राकेश शर्मा 1984 में सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष गए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया स्वागत
शुभांशु शुक्ला की वापसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूं.
विवाद के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
उदित राज के बयान के बाद सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. एक ओर जहां कुछ लोग इसे सामाजिक प्रतिनिधित्व की मांग बता रहे हैं, वहीं ज्यादातर लोग इसे मूल्यांकन और चयन प्रक्रिया का अपमान मान रहे हैं. शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा एक प्रेरणादायक वैज्ञानिक उपलब्धि है, जिसे राजनीतिक या जातिगत नजरिए से देखना न केवल अनुचित है, बल्कि यह उन लोगों का अपमान भी है जो कठिन प्रशिक्षण, चयन प्रक्रिया और मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचते हैं. यह समय देश की इस ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मनाने का है, न कि उसे विवादों में घसीटने का.


