तेजस मार्क-1ए की ऐतिहासिक उड़ान, भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को नई ताकत मिली
भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए आज पहली बार आसमान में उड़ान भर रहा है। यह क्षण देश की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा ऐतिहासिक कदम है।

National News: आज का दिन बेहद खास है क्योंकि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने नासिक में अपने प्लांट से स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए को पहली बार उड़ाया। यह विमान पूरी तरह भारत में डिजाइन और तैयार किया गया है, जो देश की तकनीकी ताकत और आत्मनिर्भरता की नई मिसाल है। इस ऐतिहासिक मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद मौजूद रहे और साथ ही उन्होंने हिंदुस्तान टर्बो ट्रेनर की नई उत्पादन लाइन और तेजस मार्क-1ए की तीसरी उत्पादन लाइन का भी उद्घाटन किया।
एयरफोर्स में शामिल होने की तैयारी
हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर इस विमान के भारतीय वायुसेना में शामिल होने की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन HAL का कहना है कि बहुत जल्द इसे एयरफोर्स में जगह मिलेगी। कंपनी का लक्ष्य है कि अगले चार सालों में कुल 83 तेजस मार्क-1ए विमानों की डिलीवरी पूरी कर दी जाए। अमेरिकी इंजन की आपूर्ति में देरी की वजह से यह योजना लगभग दो साल पीछे हो गई थी। इसी कारण हाल में एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी भी जताई थी।
घटते स्क्वाड्रन और चुनौतियां
भारतीय वायुसेना के पास पहले मिग-21 के दो स्क्वाड्रन हुआ करते थे, लेकिन उनके रिटायर होने के बाद अब केवल 29 स्क्वाड्रन ही बचे हैं। देश के सामने सुरक्षा चुनौतियां पहले की तुलना में कहीं अधिक बढ़ गई हैं। ऐसे में तेजस मार्क-1ए का समय पर आना वायुसेना की युद्धक क्षमता को मजबूत करेगा और सीमा पर किसी भी खतरे का सामना करने की तैयारी को और धार देगा।
हल्का लेकिन ताकतवर विमान
तेजस मार्क-1ए चौथी पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट है। इसका डिजाइन हल्का और तेज है लेकिन मारक क्षमता बेहद सटीक है। यह विमान हर मौसम और हर समय ऑपरेशन करने में सक्षम है। इसमें साढ़े पांच टन से ज्यादा हथियार ले जाने की क्षमता है और यह एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला कर सकता है। इन खूबियों के कारण तेजस दुनिया के हल्के लड़ाकू विमानों की श्रेणी में बेहद प्रभावी साबित होगा।
आधुनिक तकनीक से लैस
इस विमान में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक रडार सिस्टम, बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और हवा में ईंधन भरने जैसी विशेष सुविधाएं हैं। इसकी वजह से यह जेट लंबे समय तक मिशन पर रह सकता है और दुश्मन के रडार को चकमा देने में भी माहिर है। इसकी तकनीक ने भारत को उन देशों की श्रेणी में ला दिया है जो अपने स्तर पर अत्याधुनिक लड़ाकू विमान तैयार कर सकते हैं।
स्वदेशी कलपुर्जों की ताकत
तेजस मार्क-1ए का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा भारत में ही बना है। यही वजह है कि जरूरत पड़ने पर इसमें बदलाव या अपग्रेडेशन बिना विदेशी मदद के संभव है। यह कदम भारत को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों में नई दिशा देता है। इस विमान का निर्माण देश की रक्षा और एयरोस्पेस उद्योग को मजबूती देने के साथ ही लाखों युवाओं के लिए रोजगार और नए अवसर भी पैदा कर रहा है।
भारत की रणनीतिक बढ़त
तेजस की पहली उड़ान केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं बल्कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता का सबूत है। आने वाले वर्षों में जब ये विमान वायुसेना में शामिल होंगे तो भारत की हवाई ताकत दुगुनी हो जाएगी। यह देश के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और रक्षा उद्योग के लिए गर्व का पल है। तेजस ने साबित कर दिया है कि भारत अब केवल आयातक नहीं बल्कि वैश्विक रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर ताकत बन चुका है।


