एनडीए की महिला कैडेटों का पहला बैच 30 मई को होगा पासआउट, 17 महिला कैटेट्स बनेंगी सैन्य अधिकारी
एनडीए में पहली बार 30 मई को 17 महिला कैडेट्स पास आउट होंगी, जो भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी का नया अध्याय है. हरसिमरन कौर और श्रीति दक्ष जैसे कैडेट्स ने कठिन प्रशिक्षण और समय प्रबंधन के माध्यम से नेतृत्व कौशल विकसित किया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से महिलाओं के लिए एनडीए का द्वार खुला. यह कदम सेना में लिंग समानता और तकनीकी ज्ञान के विस्तार को भी दर्शाता है, जो भविष्य की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगा.

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में 30 मई को एक इतिहास लिखने जा रहा है, जब 148वीं पासिंग आउट परेड में पहली बार 17 महिला कैडेट पास आउट होंगी. इस बार कुल 317 कैडेटों में 17 महिलाएं भी शामिल हैं. महिलाओं को एनडीए में प्रवेश 2022 में पहली बार मिला था, जो 2021 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद संभव हुआ. यह निर्णय भारतीय सेना की प्रतिष्ठित त्रि-सेवा अकादमी में महिलाओं के लिए रास्ता खोलने वाला साबित हुआ. इस महिला कैडेटों के पहले बैच में हरियाणा की हरसिमरन कौर भी हैं, जो डिवीजन कैडेट कैप्टन बनेंगी और भारतीय नौसेना अकादमी के लिए जाएंगी.
प्रेरणा और परिवार का प्रभाव
हरसिमरन कौर ने एनडीए में शामिल होने की प्रेरणा अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि से मिली बताया. उनके पिता भारतीय सेना में हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हैं और दादाजी भी सेना में सेवा दे चुके हैं. कौर ने कहा, "मेरा बचपन से ही रक्षा बलों से गहरा जुड़ाव रहा है. एनडीए में प्रवेश मेरा सपना था." उन्होंने अपने पहले दिन की याद करते हुए बताया कि सूडान ब्लॉक, अन्य इमारतों और कैडेटों को मार्च करते देखकर वह कितनी उत्साहित थीं.
टूटना और फिर बनना
हरसिमरन बताती हैं कि एनडीए का प्रशिक्षण बेहद कड़ा और चुनौतीपूर्ण होता है. "एक कहावत है कि अकादमी पहले आपको तोड़ती है और फिर फिर से बनाती है." वह कहती हैं कि यह अनुभव सभी कैडेटों के लिए समान था, चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं. कठोर शारीरिक प्रशिक्षण, अभ्यास, और अकादमिक गतिविधियां सभी को अधिकारी जैसी गुणवत्ता विकसित करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं. कौर ने बताया कि कार्यक्रम इतना व्यस्त था कि समय प्रबंधन एक कला बन गई. उन्होंने कहा, "यहां आपको शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से मजबूत होना पड़ता है."
महिला कैडेटों का पुरुष कैडेटों के साथ समन्वय
श्रीति दक्ष देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में आर्टिलरी विंग में शामिल होंगी. दक्ष ने बताया, "मेरे पिता पूर्व एनडीए अधिकारी हैं और मेरी बहन भारतीय वायुसेना में हैं. मेरे लिए सेना में जाना परिवार की परंपरा है." उन्होंने 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को महिलाओं के लिए बड़ा अवसर बताया. दक्ष कहती हैं, "एनडीए में हमें अलग-अलग शौचालय और स्क्वाड्रन की व्यवस्था मिली. लेकिन हमारी ट्रेनिंग पुरुष कैडेटों के समान ही था. हमने तीन सालों तक कंधे से कंधा मिलाकर काम किया."
पहली महिला बैच के तौर पर जिम्मेदारियां
हरसिमरन कौर बताती हैं कि वे पहले महिला बैच की होने के नाते जूनियर कैडेटों के लिए एक आदर्श स्थापित करना चाहती हैं. "हमारे ऊपर यह जिम्मेदारी है कि हम ऐसे मानक बनाएं, जिन्हें बाद वाले कैडेट अनुसरण कर सकें." उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक कार्यक्रम में नए तकनीकी विषय शामिल किए जा रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक तकनीकी ज्ञान प्राप्त होगा और वे अपने-अपने विंग के लिए बेहतर तैयार हो सकेंगी.
भविष्य की दिशा
एनडीए में महिलाओं के प्रवेश ने भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका को नए आयाम दिए हैं. पहली बार जब महिलाएं इस प्रतिष्ठित अकादमी से स्नातक हो रही हैं, तो यह न केवल उनके लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है. ये महिला कैडेट भविष्य में देश की सुरक्षा और नेतृत्व में अहम भूमिका निभाएंगी. साथ ही, यह बदलाव भारतीय सेना के समावेशी और प्रगतिशील स्वरूप को भी दर्शाता है.


