देश में 100 PMLA अदालतें, फिर भी मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में देरी: ईडी रिपोर्ट
धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) 2005 के तहत ईडी स्वतंत्र रूप से मामला दर्ज नहीं कर सकती. उसे अपनी कार्रवाई पुलिस या अन्य जांच एजेंसी की प्राथमिकी यानी पूर्ववर्ती अपराध की एफआईआर के आधार पर शुरू करनी होती है. यही प्रक्रिया पीएमएलए की कानूनी रूपरेखा तय करती है.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी पहली वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि देश भर में 100 विशेष पीएमएलए (धनशोधन रोकथाम अधिनियम) अदालतों की स्थापना के बावजूद इन मामलों की सुनवाई समय पर पूरी नहीं हो पा रही है. रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई में देरी के पीछे कई प्रणालीगत और प्रक्रियात्मक बाधाएं हैं, जो मुकदमों की निरंतरता और शीघ्र निपटारे में बाधा बन रही हैं.
ईडी के निदेशक राहुल नवीन ने गुरुवार को “ईडी दिवस” के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एजेंसी के कार्यों का बचाव किया. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा ईडी की कार्यशैली पर उठाए जा रहे पक्षपात और निष्पक्षता के आरोप बेबुनियाद हैं. राहुल नवीन ने कहा कि अब तक ईडी द्वारा दाखिल 47 मामलों में फैसला आया है, जिनमें से केवल 3 में आरोपी बरी हुए हैं. इस आधार पर उन्होंने 93.6% की दोषसिद्धि दर का दावा किया, जो एजेंसी के ट्रैक रिकॉर्ड को दर्शाता है.
पीएमएलए मामलों की सुनवाई में देरी पर चिंता
रिपोर्ट के अनुसार, पीएमएलए के अंतर्गत मामलों की सुनवाई में देरी का एक मुख्य कारण यह है कि इन मामलों की कार्रवाई मूल अपराध की जांच या उसके परीक्षण की प्रगति पर निर्भर करती है. जब तक संबंधित अपराध की जांच पूरी नहीं होती, तब तक ईडी की कार्रवाई भी अटक जाती है. इसके अतिरिक्त, अदालतों में दाखिल अंतरिम याचिकाएं, जमानत अर्जियाँ और अन्य कानूनी अड़चनें, जो अक्सर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचती हैं, मुकदमों की प्रक्रिया को और लंबा कर देती हैं.
93.6% कन्विक्शन रेट का दावा
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि विशेष पीएमएलए अदालतों को अन्य कानूनों के तहत भी कई मामलों का बोझ उठाना पड़ता है, जिससे इन अदालतों की क्षमता सीमित हो जाती है. इससे ईडी के मामलों की सुनवाई में और अधिक देरी होती है. पीएमएलए के तहत, ईडी स्वतंत्र रूप से मामला दर्ज नहीं कर सकता. उसे किसी पुलिस या अन्य एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकी, यानी पूर्ववर्ती अपराध के आधार पर ही कार्रवाई करनी होती है. यह कानून वर्ष 2005 में प्रभाव में आया था.
रिपोर्ट में इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में ईडी का एक प्रमुख लक्ष्य लंबित जांचों को पूरा कर, विशेष अदालतों में अभियोजन शिकायतें दाखिल करना और जब्त संपत्तियों को कानूनी प्रक्रिया में लाना होगा.


