रसगुल्ले को लेकर दो राज्यों में हुई लड़ाई, कोर्ट तक पहुंचा मामला, फिर...
इस झगड़े के बाद दोनों प्रदेशों के लोगों ने अपनी परंपरा अनुसार रसगुल्ला बनाना शुरु कर दिया है। अब भारत में दो तरह के रसगुल्ले मशहूर है। बंगाली रसगुल्ला, हलका चिट्टा, अधिक सपंजी व रसदार। जबकि उड़ीसा का रसगुल्ला हलका भूरा, थोड़ा सख्त और रिवायती तरीके से बनाया जाता है।

क्या आप जानते हैं कि रसगुल्ले जैसी मीठी चीज़ को लेकर भी कानूनी लड़ाई हो चुकी है? भारत के दो सबसे बड़े राज्यों - पश्चिम बंगाल और ओडिशा - के बीच यह मुद्दा इतना बढ़ गया कि मामला अदालत तक पहुंच गया। दोनों राज्यों ने दावा किया कि रसगुल्ला सबसे पहले उनके राज्य में बनाया गया था। तो सच क्या था? कौन जीता और किसे हार माननी पड़ी? आइये जानते हैं पूरी कहानी...
विवाद कैसे शुरू हुआ
रसगुल्ला भारत की सबसे लोकप्रिय मिठाइयों में से एक है। लेकिन यह मिठाई 2015 में विवादों में घिर गई जब ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बीच इसके वास्तविक उद्गम को लेकर विवाद छिड़ गया। ओडिशा का दावा: ओडिशा ने कहा कि रसगुल्ला उनके मंदिर जगन्नाथ पुरी से जुड़ा हुआ है। वहां इसे भगवान जगन्नाथ को प्रसाद के रूप में अर्पित किया गया। ओडिशा के लोग इसे "खीरमोहन" के नाम से भी जानते हैं। पश्चिम बंगाल का दावा: बंगाल ने कहा कि जिस रसगुल्ले को आज पूरी दुनिया जानती है, उसे 19वीं सदी में कोलकाता के मशहूर मिठाई निर्माता नवीन चंद्र दास ने बनाया था। उन्होंने इसे अधिक स्पंजी और रसदार बनाया, जिससे यह हर घर में लोकप्रिय हो गया।
कोर्ट तक पहुंचा मामला
जब विवाद खत्म नहीं हुआ तो दोनों राज्यों ने जीआई टैग के लिए आवेदन कर दिया। यह टैग बताता है कि कोई चीज़ कहां जुड़ी हुई है। 2017 में, पश्चिम बंगाल को “बंगाल रसगुल्ला” के लिए जीआई टैग प्राप्त हुआ। इसका मतलब यह है कि बंगाल में बने रसगुल्ले अब कानूनी तौर पर बंगाल की विशेषता माने जाएंगे। 2019 में, ओडिशा को “ओडिशा रसगुल्ला” के लिए एक अलग जीआई टैग भी मिला। इसका मतलब यह है कि दोनों राज्यों को अपने रसगुल्ले पर अधिकार मिल गया।


