एक साथ चुनाव कराने का तीन पूर्व सीजेआई ने किया समर्थन, लेकिन विधेयक में प्रावधानों पर जताई असहमति
पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा की संवैधानिकता स्वीकार की, लेकिन चुनाव आयोग को दी गई शक्तियों, छोटे दलों के वित्तीय असंतुलन व मध्यम अवधि की सरकारों की सीमाओं पर गंभीर चिंताएं जताईं. उन्होंने सुझाव दिए कि चरणबद्ध चुनाव, खर्च नियंत्रण व शक्ति उपयोग की स्पष्ट दिशा-निर्देश लागू हों.

संविधान सुधार समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पर विचार-विमर्श करते समय चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को आमंत्रित किया. ये विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखता है. इस दौरान पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने विधेयक की संवैधानिकता का समर्थन किया, लेकिन चुनाव आयोग को दी गई व्यापक शक्तियों, संसाधनों के असंतुलन व छोटे दलों के पक्ष पतन को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए.
कौन कहता है यह असंवैधानिक?
पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने यह स्पष्ट किया कि संविधान में राष्ट्रीय और राज्य चुनाव अलग कराने की प्रावधान नहीं था, अतः ‘एक साथ चुनाव’ संविधान की मूल आत्मा का उल्लंघन नहीं है. उन्होंने कहा, “चरणों में चुनाव कराने की परंपरा मूलभूत विशेषता नहीं, बल्कि व्यवस्था को बनाए रखने का ढंग है, न कि अपरिवर्तनीय सिद्धांत.” चंद्रचूड़ ने मताधिकार पर भी आशंका व्याप्त की.
चुनाव आयोग को मिली अत्यधिक शक्तियां
चंद्रचूड़ ने कहा कि विधेयक चुनाव आयोग को पंद्रह वर्षों तक विधानसभा कार्यकाल बढ़ाने या घटाने की शक्तियाँ प्रदान करता है, जो संवैधानिक रूप से खतरनाक हो सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की शक्तियों के प्रयोग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश चाहिए, अन्यथा यह चुनाव आयोग की भूमिका से परे हो जाएगी.
छोटे दलों की पक्षपातपूर्ण हालत
छोटे और क्षेत्रीय दलों की असमर्थता पर बात करते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि संसाधनों एवं मीडिया अभियान में असंतुलन इनके खिलाफ जाएगा. उन्होंने सुझाव दिया कि राजनीतिक दलों के चुनावी व्यय पर अधिक नियंत्रण लागू हो, ताकि धनवान दलों को अनुचित लाभ मिले न.
मध्यम अवधि चुनाव में परियोजनाओं पर असर
विधेयक में कहा गया है कि मध्यावधि चुनाव की स्थिति में नई सरकार केवल शेष चार-पांच साल के कार्यकाल के लिए ही जिम्मेदार होगी. चंद्रचूड़ ने चेतावनी दी कि इससे परियोजनाओं और नीतिगत निर्णयों में देरी आएगी, खासकर आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण.
चरणबद्ध चुनाव की जरूरत
पूर्व CJI यू.यू. ललित ने सुझाव दिया कि पूर्ण समकालिक चुनाव के बजाए चरणबद्ध चुनाव करना बेहतर होगा. इससे कार्यकाल की अनावश्यक समापन व संसाधनों का बेहतर प्रबंधन संभव रह सकेगा.
संवैधानिकता पर नहीं विवाद
समिति के सामने आए चारों पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़, ललित, गोगोई और खेहर ने विधेयक की मूल अवधारणा पर कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं जताई, परन्तु इसके कार्यान्वयन के संबंध में सावधानी एवं बेहतर नियमों की आवश्यकता पर बल दिया.