ट्रंप और यूरोप की नजरें टिकीं मोदी-पुतिन मुलाकात पर, दिल्ली को मिल सकती है बड़ी गुड न्यूज
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत दौरे पर आ रहे हैं. यह उनका इस साल का पहला भारत दौरा होगा और सबसे खास बात यह कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और निवेश के क्षेत्र में कई अहम समझौते होने की पूरी संभावना है. सूत्रों के मुताबिक एस-400 डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी, संयुक्त सैन्य उत्पादन और द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने जैसे बड़े ऐलान हो सकते हैं.

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले सप्ताह भारत का दौरा करेंगे और दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका के संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं, जबकि रूस का अमेरिका के साथ रिश्ता लंबे समय से जटिल है. इस दौरे की वैश्विक राजनीति में बड़ी उम्मीदें हैं, खासकर यूरोपीय यूनियन (EU) और अमेरिका की नजरें इस मुलाकात पर टिकी हुई हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन का यह दौरा न केवल भारत-रूस संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि यूक्रेन में शांति स्थापित करने में भी मददगार साबित हो सकता है. प्रधानमंत्री मोदी की लंबे समय से जारी शांति अपील इस मौके पर अहम भूमिका निभा सकती है.
यूक्रेन में शांति का रास्ता खुल सकता है
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप की जनता खुद को 2022 की तुलना में कम खुशहाल महसूस कर रही है. इसका मुख्य कारण यूक्रेन युद्ध में बढ़ते खर्च और लगातार जारी संघर्ष है. पुतिन और मोदी की बैठक से यह संभावना है कि 90 दिनों के भीतर यूक्रेन में लड़ाई को समाप्त करने की दिशा में पहल की जा सके.
मोदी-पुतिन समिट के दौरान एडवांस्ड मिलिट्री प्लेटफॉर्म पर डिफेंस कोलैबोरेशन पर चर्चा होने के साथ-साथ शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की रणनीति पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
यूरोप और अमेरिका के लिए राहत
हालांकि यूरोप इस समिट को पश्चिमी नजरिए से अमेरिका के खिलाफ मोर्चा बनाने के रूप में देख सकता है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि समिट का सकारात्मक परिणाम वेस्ट को ही सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाएगा. इससे यूरोप पर यूक्रेन युद्ध के वित्तीय बोझ में कमी आएगी, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चिंताओं को भी कुछ हद तक शांत किया जा सकेगा.
यूरोप में बढ़ती हिंसा और खर्च की चिंता
यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप के शांति प्रिय देशों में हालिया समय में हिंसा और अस्थिरता बढ़ी है. अमेरिका युद्ध पर ज्यादा खर्च नहीं करना चाहता जबकि यूरोप इस पर अधिक बोझ उठा रहा है. ऐसे में मोदी-पुतिन की बैठक यूरोप के लिए खुशी और राहत का सबब बन सकती है.


