भारत की इस बात से चिढे़ ट्रंप, इसलिए निकाल रहे भड़ास? टैरिफ दोगुना करने के बाद दी बड़ी धमकी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया और रूस से तेल खरीदने पर सेकेंडरी सैंक्शन की चेतावनी दी. इस कदम ने भारत-अमेरिका संबंधों में गंभीर तनाव पैदा कर दिया है. एक्सपर्ट ने इसे रणनीतिक साझेदारी का सबसे बुरा दौर बताया है, लेकिन संबंधों में सुधार की संभावनाएँ अब भी बची हैं.

India-US Relation: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक बड़े फैसले में भारत से होने वाले आयातों पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. इस निर्णय ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इसके अलावा ट्रंप ने रूस से तेल की खरीद जारी रखने को लेकर भारत पर 'सेकेंडरी सैंक्शन' की भी धमकी दी है.
रणनीतिक साझेदारी पर संकट
वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने इसे पिछले दो दशकों में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के लिए सबसे गंभीर संकट बताया. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह हमारी रणनीतिक साझेदारी के इतिहास में सबसे बुरा दौर है. उन्होंने आगे चेताया कि ये आर्थिक प्रतिबंध दोनों देशों के बीच व्यापक सहयोग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.
अमेरिका की बढ़ती असहजता
ट्रंप प्रशासन की यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब भारत अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस से ऊर्जा खरीद को जारी रखे हुए है. अमेरिका की हालिया नीति में आर्थिक दंड को कूटनीतिक नाराजगी से जोड़ने का चलन बढ़ा है और मौजूदा हालात में भारत इस नीति का अगला निशाना बन गया है. कुगेलमैन ने बताया कि यह निर्णय चौंकाने वाला नहीं है. हाल के महीनों में संबंधों में जो उतार-चढ़ाव आया है, उसे देखकर यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं था कि राष्ट्रपति ट्रंप आखिरकार अपनी चेतावनी पर अमल करेंगे.
अब भी संबंधों को बचाने की संभावना
हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अभी भी दोनों देशों के रिश्तों को पूरी तरह खत्म नहीं माना जा सकता. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सहयोग कई स्तरों पर चलता है, व्यापार, रक्षा, शिक्षा, तकनीक, और आपसी रणनीतिक हित. ये संबंध बहुआयामी हैं और ऐसे झटकों को झेल सकते हैं.
भारत को निशाना, चीन को राहत?
जब कुगेलमैन से पूछा गया कि चीन के भी रूस से घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद ट्रंप ने उसे क्यों निशाना नहीं बनाया, तो उन्होंने दोहराया कि यह एक प्रकार का पाखंड है. उन्होंने कहा कि चीन ने ट्रंप को यूक्रेन संघर्ष में मध्यस्थता का श्रेय लेने दिया, लेकिन भारत ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया. शायद इसी वजह से ट्रंप ने अपनी सबसे बड़ी नाराज़गी भारत पर निकाली.
चीन पर भी हो सकते हैं प्रतिबंध
हालांकि ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि भारत के बाद चीन पर भी अतिरिक्त टैरिफ लगाए जा सकते हैं. जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या चीन को भी भारत जैसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, तो उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है. ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि ऐसे कदम रूस पर दबाव बढ़ाने और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए उठाए जा रहे हैं.


