ASI सर्वेक्षण होने से किसे-कैसे होगा लाभ.., जानिए क्या हो सकती है आगे की दिशा और दशा 

वाराणसी की जिला कोर्ट ने शुक्रवार को हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वेक्षण की इजाजत दे दी है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि अगर ASI सर्वेक्षण सफलता पूर्वक हो जाता है तो इसके क्या मायने निकलेंगे.

Akshay Singh
Akshay Singh

वाराणसी की जिला कोर्ट ने शुक्रवार को हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी मस्जिद में ASI सर्वेक्षण की इजाजत दे दी है. जिला न्यायलय के इस फैसले से हिंदू पक्षकारों में खुशी की लहर है तो वहीं मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज हो जाने से वे उच्च न्यायालय जाने की बात कह रहे हैं. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि अगर ASI सर्वेक्षण सफलता पूर्वक हो जाता है तो इसके क्या मायने निकलेंगे. आइए सबसे पहले जानते हैं कि ASI सर्वे क्या है और ज्ञानवापी के किस हिस्से में इसे किया जा सकता है. 

ASI सर्वे क्या है?

Archaeological Survey of India (ASI) यानी भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की स्थापना 1861 में हुई थी. फिलहाल यह संस्था संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करती है. भारत के प्राचीन धरोहरों के संरक्षण से लेकर पुरातात्विक शोध और प्राचीन एवं पुरातात्विक अवशेषों का रखराव करना इस संगठन का काम है. 
वर्तमान समय में ASI की भूमिका से अधिकतर लोग परिचित हैं. अयोध्या के बहुचर्चित बाबरी मस्जिद विवाद में भी उच्चतम न्यायलय में एएसआई की रिपोर्ट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके बाद राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया था. 

ज्ञानवापी में क्या होगी ASI की भूमिका 
वाराणसी की जिला न्यायालय के आदेश पर अगर कोई अड़चन नहीं आई तो मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वे होना तय है. बता दें कि मस्जिद परिसर में होने वाले इस सर्वेक्षण में कथित शिवलिंग शामिल नहीं होगा. हिंदू पक्षकार जिसे शिवलिंग कह रहे हैं उसका मामला सुप्रीम कोर्ट में है जिसपर 19 मई को कोर्ट ने जांच के लिए इंकार कर दिया है. अतः ASI कथित शिवलिंग को छोड़कर बाकी हिस्से का वैज्ञानिक सर्वे कर सकती है. ज्ञानवापी का आधार जिसे प्रचीन मंदिर का हिस्सा बताया जा रहा है उसकी कार्बनडेटिंग हो सकती है. कई ऐसे खंबे और पिलर्स हैं जिनसे ये जानने का प्रयास किया जाएगा कि ये आधार कितना पुराना है. 

पहले ही मिल चुके हैं स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल चिह्न के सबूत 
हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन ने वाराणसी जिला न्यायालय में दी अपनी दलील में कहा था कि 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे में ज्ञानवापी परिसर में 2.5 फीट उंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा मिला. उन्होने कहा कि उसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया। जैन के मुताबिक जिस आकृति को फव्वारा कहा जा रहा है उसमें पाईप जाने भर की जगह ही नहीं थी. 
विष्णुशंकर जैन की दलील के मुताबिक ज्ञानवापी परिसर में स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल चिह्न मिले हैं. ASI के सर्वेक्षण होने से ये बातें भी साफ हो जाएंगी. 

सर्वे के बाद क्या ?
ASI का सर्वे पूरा होने के बाद संबंधित अदालत को इसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी. रिपोर्ट को देखने के बाद आगे की कार्यवाई को लेकर फैंसला लिया जा सकता है. अगर रिपोर्ट में मस्जिद के आधार के निर्माण का समय औरंगजेब के काल खंड से मेल खा जाएगा ते बहुत संभावना है कि ये मामला यहीं शांत हो सकता है. 
लेकिन दूसरा पक्ष ये है कि अगर ज्ञानवापी का आधार अधिक प्राचीन पाया गया और मस्जिद परिसर में हिंदू वास्तु के साक्ष्य मिलते हैं तो मामला और आगे बढ़ सकता है. बहुत उम्मीद है कि हिंदू पक्ष इस पूरे परिसर पर अपना दावा ठोंक सकता है. हालांकि, इतनी आसानी से कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. आगे की दिशा और दशा क्या होगी ये भविष्य की गर्त में है. 

राम मंदिर मामले में थी ASI की महत्वपूर्ण भूमिका 
आपको याद होगा कि सैकड़ों वर्षों से चल रहे श्रीराम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के निर्णय में भी ASI ने महती भूमिका निभाई थी. अदालत ने ASI सर्वे का आदेश दिया था जिसकी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैंसला सुनाया था. ASI रिपोर्ट के आधार पर विवादित स्थल के नीचे मंदिर होने के तमाम साक्ष्य मिले थे. 

राम मंदिर मामले में थी ASI की महत्वपूर्ण भूमिका 
राम मंदिर मामले में थी ASI की महत्वपूर्ण भूमिका 

क्या ASI रिपोर्ट आने के बाद ज्ञानवापी के स्थान पर मस्जिद बन जाएगा?
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर मस्जिद से प्राचीन मंदिर होने के साक्ष्य मिल जाते हैं तो क्या उस स्थान पर मंदिर बना दिया जाएगा ? बता दें कि इस बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी. हो सकता है कि न्यायालयों से इस मामले में कोई अंतिम फैंसला आने में अभी सालों लग जाएं. फिलहाल ये पूरा मामला धार्मिक लड़ाई से ज्यादा कानूनी लड़ाई का है इसलिए दोनों को पक्षों को कानूनी फैंसले का इंतजार करना होगा. 

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21 July 2023, 07:21 PM IST

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