DGCA ने अपना ही फैसला क्यों लिया वापस? सरकार या एयरलाइंस किसकी गलती से रद्द हुईं सैकड़ों फ्लाइट
इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद तक, इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानें रद्द और देरी हो रही है. ऐसे में DGCA ने एक बड़ा कदम उठाया है.

भारतीय एविएशन उद्योग इन दिनों उथल-पुथल का शिकार है. इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद तक, इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानें रद्द के साथ-साथ देरी हो रही है और यात्री घंटों लाइनों में खड़े हैं.
दिसंबर 2025 के पहले सप्ताह में ही 600 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं, जिससे लाखों यात्रियों का सफर प्रभावित हुआ है. केंद्र में यह सब कुछ DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) के नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन्स (FDTL) नियमों के कारण है.
क्यों बनी ऐसी स्थिति
अब सवाल वही है कि पहले सख्ती की फिर बैकफुट पर क्यों आ गए? DGCA ने जनवरी 2024 में FDTL नियमों को संशोधित किया था, जो पायलट और क्रू की थकान कम करने के लिए थे. इनमें साप्ताहिक आराम को 36 से बढ़ाकर 48 घंटे करना, रात्रि ड्यूटी को रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक विस्तारित करना और लगातार दो से अधिक रात्रि उड़ानों पर रोक शामिल थी.
मूल रूप से मार्च 2024 से लागू होने वाले ये नियम, एयरलाइन्स की मांग पर चरणबद्ध तरीके से जुलाई 2025 से शुरू हुए और 1 नवंबर 2025 को पूर्ण रूप से प्रभावी हुए. DGCA ने दो साल की तैयारी का समय दिया था लेकिन इंडिगो जैसी बड़ी एयरलाइन ने पर्याप्त पायलट भर्ती या प्रशिक्षण नहीं किया.
क्रू की कमी के कारण हुई दिक्कत
एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPAI) के अनुसार, एयरलाइन्स ने जानबूझकर देरी की और 'स्लॉट होर्डिंग' किया यानी एयरपोर्ट स्लॉट बुक किए लेकिन क्रू की कमी के कारण संचालन नहीं कर पाए.
यह 'आर्टिफिशियल क्राइसिस' जैसा लगता है, जिसका मकसद DGCA पर दबाव बनाना था. इंडिगो, जो घरेलू बाजार में 60% हिस्सेदारी रखती है, ने इसे 'अनप्रेडिक्टेबल चैलेंजेस' बताया मौसम, ट्रैफिक जाम और तकनीकी खराबी. लेकिन आंकड़े कुछ और कहते हैं. नवंबर 2025 में इंडिगो की 62% कैंसिलेशन क्रू की कमी से हुईं और ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 84% से गिरकर 68% रह गई.
फरवरी तक स्थिति होगी सामान्य
एयरलाइन ने DGCA को बताया कि पूर्ण सामान्यता फरवरी 2026 तक आएगी लेकिन तब तक और कैंसिलेशन होंगी. पायलट यूनियनों का आरोप है कि इंडिगो की 'लीन मैनपावर स्ट्रैटेजी' यानी न्यूनतम स्टाफ इसकी जड़ है.
DGCA की गलती?
नियम सुरक्षा के लिए जरूरी थे लेकिन क्या हालात समझे बिना थोप दिया गया? नहीं क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने इन्हें लागू करने का आदेश दिया था. फिर भी 5 दिसंबर 2025 को DGCA ने यू-टर्न ले लिया. उसने जनवरी 2025 के उस क्लॉज को वापस ले लिया, जो कहता था कि 'लीव को वीकली रेस्ट की जगह नहीं लिया जा सकता.'
अब एयरलाइन्स लीव को रेस्ट मान सकती हैं, जो तत्काल राहत है. लेकिन यह डैमेज कंट्रोल लगता है यात्रियों को बंधक बनाकर एयरलाइन्स ने सरकार को मजबूर कर दिया. राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे 'आर्म-ट्विस्टिंग' कहा. प्लानिंग में चूक हुई लेकिन मुख्य रूप से एयरलाइन्स की. DGCA ने सुरक्षा को प्राथमिकता दी लेकिन एयरलाइन्स ने लाभ के चक्कर में तैयारी टाली.


