दिल्ली में ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ रैली: कांग्रेस ने क्यों नहीं बुलाए इंडिया गठबंधन के सहयोगी?
कांग्रेस पार्टी की 'वोट चोर, गद्दी छोड़ो' मेगा-रैली, जो ऐतिहासिक रामलीला मैदान में होने वाली है, राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। इस बीच, एक बड़ा राजनीतिक सवाल उठाया जा रहा है: इस रैली में INDIA गठबंधन के साथियों को क्यों नहीं बुलाया गया?

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में रविवार को आयोजित होने वाली कांग्रेस की ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ महारैली राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है.यह रैली मुख्य रूप से वोट चोरी और चुनावी धांधली के आरोपों को लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करने के उद्देश्य से हो रही है.रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन इसी बीच एक बड़ा राजनीतिक सवाल यह उठ रहा है कि इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को इसमें क्यों नहीं बुलाया गया?
रैली से विपक्ष की एकता पर उठे सवाल
कांग्रेस ने इस रैली को विपक्ष के अभियान को और मजबूत करने के रूप में पेश किया है, जिसमें वह देशभर से जुटाई गई करोड़ों लोगों के हस्ताक्षरों को केंद्रीय मुद्दा बनाएगी और राष्ट्रपति को सौंपने का भी दावा करेगी.रैली को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने कई राज्यों से दिल्ली की ओर रवाना होना शुरू कर दिया है.
हालांकि, विपक्षी साझी नीति के तहत गठित इंडिया गठबंधन के तमाम दलों को इस बड़े विरोध कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है.इसके चलते राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अपने आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को स्वतंत्र रूप से प्रदर्शित करना चाहती है, ताकि वह 2027 के आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपनी रणनीति को और सशक्त कर सके.
कुछ राजनीतिक जानकार यह भी मानते हैं कि यह कदम कुछ सहयोगी दलों के साथ दूरी का संकेत हो सकता है.पिछले कुछ महीनों में विपक्ष की एकजुटता में दरार देखने को मिली है, खासकर बिहार जैसे राज्यों में जहां मतदाता सूची (SIR) को लेकर विवाद के बाद दलों के बीच मतभेद उभर कर आए थे.
कांग्रेस को मिल रहा विपक्षी दलों का साथ
कांग्रेस के इस फैसले के समर्थक तर्क देते हैं कि रैली का मुख्य उद्देश्य सत्ता पक्ष पर मतदाता धोखाधड़ी और चुनावी प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप का आरोप लगाना है, इसलिए पार्टी इसे अपने नेतृत्व में आयोजित कर अपना राजनीतिक संदेश स्पष्ट करना चाहती है.पार्टी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने कहा है कि यह मुद्दा केवल कांग्रेस का नहीं, बल्कि पूरे देश की लोकतांत्रिक चिंता का विषय है.
दूसरी ओर, कुछ सहयोगी नेताओं ने भी स्पष्ट किया है कि गठबंधन टूटा नहीं है और 2027 के चुनावों में कांग्रेस और अन्य दल एक साथ काम करेंगे.समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे कुछ गठबंधन सहयोगी लगातार अपने रिश्ते को बरकरार रखने का आश्वासन दे रहे हैं.
राजनीतिक माहौल में यह रैली एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है, क्योंकि यह इलेक्शन कमीशन की स्वतंत्रता, मतदाता सूची सीरीज़ के गहन पुनरीक्षण और कथित वोट चोर नीति जैसे मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर फिर से उजागर करेगी.जनता की उग्र प्रतिक्रिया को देखते हुए कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी.


