'डॉलर को इग्नोर करने का खेल नहीं चलेगा...', भारत-चीन समेत BRICS कंट्री को ट्रंप ने दी खुली धमकी, जानें और क्या बोले?
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर पोस्ट कर कहा कि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं और हम सिर्फ तमाशबीन बने हुए हैं लेकिन अब ये नहीं चलेगा. हम चाहते हैं कि ये हॉस्टाइल देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए ना तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएं और ना ही किसी अन्य करेंसी को सपोर्ट करें.

डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के बाद लगातार दूसरे देशों पर दवाब बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अब राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकी देते हुए कहा कि BRICS देशों को किसी अन्य मुद्रा का समर्थन नहीं करना चाहिए. उन्हें अमेरिकी डॉलर का समर्थन करना चाहिए. ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पिछले साल ब्रिक्स देशों की समिट में एक ब्रिक्स कॉइन सामने आया था. ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने तक की धमकी दे डाली है. इससे भारत के व्यापार पर बड़ा असर पड़ सकता है.
क्या है ट्रंप का बयान
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि ब्रिक्स देश यह समझ लें कि वे अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस नहीं कर सकते. अगर ऐसा होता है कि ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा.
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर पोस्ट कर कहा कि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं और हम सिर्फ तमाशबीन बने हुए हैं लेकिन अब ये नहीं चलेगा. हम चाहते हैं कि ये हॉस्टाइल देश अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए ना तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएं और ना ही किसी अन्य करेंसी को सपोर्ट करें. अगर ऐसा नहीं किया गया तो ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा.
ट्रंप ने कहा कि ऐसा नहीं होने पर इन देशों के लिए अमेरिकी बाजार के दरवाजे बंद हो जाएंगे. उन्हें कोई और बाजार ढूंढना होगा. इसकी कोई संभावना ही नहीं है कि ब्रिक्स देश इंटरनेशनल बाजार में अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य करेंसी को तवज्जो दें.
ब्रिक्स समिट में हुई थी चर्चा
आपको बता दें कि ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बने ब्रिक्स ब्लॉक ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने की संभावना तलाशी है. कुछ सदस्यों ने सीमा पार लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग सहित विकल्पों पर चर्चा की है. हालांकि, नई ब्रिक्स मुद्रा पर कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है.
ट्रंप का बयान वैश्विक व्यापार में डॉलर के प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए एक दृढ़ रुख का संकेत देता है. यदि वे फिर से चुने जाते हैं, तो उनकी नीतियां अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं, खासकर वित्तीय स्वायत्तता चाहने वाले ब्रिक्स देशों के साथ. संभावित टैरिफ से तनाव बढ़ सकता है तथा आर्थिक गठबंधनों का स्वरूप बदल सकता है.


