'यह युद्ध का युग नहीं है', इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच साइप्रस में बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा ने भारत-साइप्रस द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई दी. यह यात्रा आतंकवाद विरोध, व्यापार, ऊर्जा सहयोग और भू-राजनीतिक रणनीति के दृष्टिकोण से बेहद अहम रही, जिससे भारत-यूरोप आर्थिक गलियारे को मजबूती मिलेगी और यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को नया आयाम मिलेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, साइप्रस में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच “युद्ध का युग नहीं” का स्पष्ट संदेश दिया. मध्य पूर्व में चल रहे तनाव के चौथे दिन, प्रधानमंत्री ने मानवता के लिए शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस संघर्ष का प्रभाव केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि यूरोप सहित कई अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है.
साइप्रस के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स के साथ बैठक की, जिसमें दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया और यूरोप में जारी संघर्षों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की. मोदी ने कहा, “हम मानते हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है. संवाद और बातचीत से ही स्थिरता वापस लाई जा सकती है, जो मानवता की आवश्यकता है.”
यह बैठक मोदी की तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में आई, जो पिछले दो दशकों में साइप्रस की किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है.
औपचारिक स्वागत
राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री मोदी का क्रिस्टोडोलाइड्स ने औपचारिक रूप से स्वागत किया. इसके बाद दोनों नेताओं के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर पर वार्ता हुई, जिसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे. इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था.
भारत-साइप्रस संबंधों को नया आयाम
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स (ट्विटर) अकाउंट पर लिखा कि उनकी यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को महत्वपूर्ण गति देगी, खासकर व्यापार, निवेश और अन्य क्षेत्रों में. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए यह अवसर अहम है.
वैश्विक शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश इस वक्त काफी प्रासंगिक माना जा रहा है, जब वैश्विक स्तर पर कई क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ रहे हैं. उन्होंने बार-बार कहा कि युद्ध से न केवल इलाके बल्कि पूरी दुनिया अस्थिर होती है और मानवता को इससे बचाना जरूरी है. उनकी यह बात क्षेत्रीय महाशक्तियों के बीच शांति की अपील के रूप में देखी जा रही है.


