'भारत पर ट्रंप के टैरिफ...', अमेरिकी सांसद की सख्त चेतावनी, राष्ट्रपति का पीछे हटने से इनकार
भारत पर ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ से अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव बढ़ा है. अमेरिकी सांसदों और विशेषज्ञों ने इस नीति की आलोचना की है, जबकि भारत ने इसे राष्ट्रीय हित बताया है. बाइडेन प्रशासन ने संयम की अपील की है और रिश्तों को अहम बताया है.

Trump tariff policy: अमेरिकी कांग्रेस के वरिष्ठ डेमोक्रेट नेता ग्रेगरी मीक्स ने चेतावनी दी है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए भारी आयात शुल्क (टैरिफ) से अमेरिका और भारत के दशकों पुराने रणनीतिक रिश्तों पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य हैं मीक्स इसे अत्यधिक और एकतरफा कदम करार दिया है. उन्होंने यह टिप्पणी भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा के साथ हुई एक बैठक के बाद दी.
50% टैरिफ और 25% जुर्माने से बढ़ा तनाव
ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए 50 प्रतिशत आयात शुल्क में भारत की रूसी तेल खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त दंड भी शामिल है. यह फैसला आधिकारिक रूप से लागू हो चुका है, जिससे दोनों देशों के आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों में खिंचाव आ गया है. वाशिंगटन में कई सांसदों और नीति-निर्माताओं ने इस फैसले की आलोचना की है और कहा है कि भारत को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि चीन जैसे अन्य बड़े तेल आयातकों पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई है.
कांग्रेस में विरोध
अमेरिकी कांग्रेस के डेमोक्रेट सदस्यों ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "यह नीति अमेरिका और भारत दोनों को नुकसान पहुँचा रही है और इसका यूक्रेन से कोई लेना-देना नहीं दिखता." उनका मानना है कि इस तरह की नीतियाँ केवल अमेरिका के वैश्विक साझेदारों को नाराज़ करने का काम कर रही हैं.
माइक पेंस और जॉन बोल्टन की आलोचना
पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने भी ट्रंप की टैरिफ नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिकी व्यवसायों और आम उपभोक्ताओं को इसकी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी. वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने इस नीति को रणनीतिक भूल बताते हुए आगाह किया कि इससे भारत चीन और रूस के करीब जा सकता है.
विशेषज्ञों ने जताई रणनीतिक नुकसान की आशंका
भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व प्रतिनिधि निक्की हेली ने इस पर चिंता जताई है. उनका मानना है कि अगर भारत के साथ संबंध कमजोर होते हैं, तो यह अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका होगा.
'राष्ट्रीय हित सर्वोपरि'
भारत ने स्पष्ट किया है कि रूस से ऊर्जा खरीद उसका राष्ट्रीय हित और बाज़ार की स्थिति पर आधारित निर्णय है. भारत का तर्क है कि आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए सस्ता तेल आवश्यक है. इन हालातों में, राजदूत क्वात्रा ने अमेरिकी सांसदों से व्यापक समर्थन की मांग की है ताकि द्विपक्षीय संबंधों में आई दरार को पाटा जा सके.
बाइडेन प्रशासन की नरमी
बाइडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी कर्ट कैंपबेल ने भारत को "21वीं सदी में अमेरिका का सबसे अहम साझेदार" बताया और दोनों देशों से संयम और समझदारी बरतने की अपील की है.


