'पाकिस्तान ने अपने अतीत में क्या किया', एक और पाकिस्तानी नेता ने कैमरे पर आतंकियों से संबंध की बात मानी

पीपीपी उपाध्यक्ष शेरी रहमान ने पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़े अतीत को स्वीकार किया, ब्रिगेड 313 और आतंकवादी समूहों पर सवाल टाला, जबकि मुंबई हमले, एफएटीएफ ग्रे सूची, अल-कायदा, तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, कश्मीर, आतंकवाद, पाकिस्तान, दक्षिण एशिया, आतंकवादी हमले, ख्वाजा आसिफ, चरमपंथ, ड्रोन हमले, इलियास कश्मीरी जैसे मुद्दे प्रमुख रहे.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की उपाध्यक्ष शेरी रहमान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में स्वीकार किया कि इस्लामाबाद का अतीत आतंकवाद से प्रभावित रहा है, लेकिन उन्होंने आतंकवादी संगठन ब्रिगेड 313 से जुड़े सवालों का जवाब देने से बचने की कोशिश की. जब एक पत्रकार यल्दा हकीम ने पाकिस्तान में चरमपंथी समूहों को पनाह देने के रिकॉर्ड के बारे में पूछा, तो रहमान ने कहा, “यह सब अतीत की बातें हैं. अब पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है और एक बदला हुआ देश बन चुका है.”

क्या है ब्रिगेड 313?

यल्दा हकीम ने आतंकवाद अनुसंधान संगठन टीआरएसी की जानकारी के हवाले से बताया कि ब्रिगेड 313 पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी समूह है, जो अल-कायदा से जुड़ा हुआ है. इसमें तालिबान, लश्कर-ए-झांगवी, हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी शामिल हैं. टीआरएसी के अनुसार, ब्रिगेड 313 को पाकिस्तान में अल-कायदा की शाखा माना जाता है, जो कश्मीर में हमलों पर केंद्रित है और इसे आतंकवाद का “केंद्र” भी कहा जाता है.

यल्दा ने पूछा कि क्या बार-बार भारत में होने वाले आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, खासकर ब्रिगेड 313 जैसे समूहों से जुड़े हमलों को लेकर. इस पर शेरी रहमान ने टालते हुए कहा कि भारत में सैकड़ों उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं, तो क्या पाकिस्तान को हर घटना का दोषी माना जाना चाहिए?

एफएटीएफ की ग्रे सूची 

साक्षात्कार में 2022 तक पाकिस्तान के वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे सूची में रहने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. यल्दा ने सवाल किया कि क्या मुंबई के 26/11 हमलों के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक साजिद मीर जैसे लोगों ने पाकिस्तान को सूची से बाहर आने में देरी करने में कोई भूमिका निभाई. इस पर रहमान ने कहा कि आतंकवाद से निपटने का पाकिस्तान का लंबा इतिहास है, चाहे वह लड़ाई हो या अन्य तरीके.

ब्रिगेड 313 का इतिहास 

ब्रिगेड 313 की स्थापना 2000 के दशक की शुरुआत में हुई थी. इसका नाम पैगंबर मुहम्मद के साथ बद्र की लड़ाई में लड़े 313 साथियों के सम्मान में रखा गया. इस समूह का नेतृत्व इलियास कश्मीरी ने किया था, जो एक पूर्व पाकिस्तानी सेना प्रशिक्षित कमांडर थे. वह 2011 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए, लेकिन तब तक वह अल-कायदा के प्रमुख नेताओं में से एक बन चुके थे.

ब्रिगेड 313 एक हाइब्रिड गठबंधन है, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा, लश्कर-ए-झांगवी, हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन शामिल हैं. यह अल-कायदा की छत्रछाया में काम करता है और पाकिस्तान के तालिबान समूहों के साथ भी सहयोग करता है.

विश्लेषकों के अनुसार, ब्रिगेड 313 दक्षिण एशिया में अल-कायदा के सबसे खतरनाक और प्रभावी समूहों में से एक है. यह संगठन वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों की हत्याओं, बम विस्फोटों और कश्मीर विद्रोह से जुड़े हाई-प्रोफाइल आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है.

पाकिस्तान के भीतर आतंकवाद को लेकर खुलासे

इससे पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी यह माना था कि देश ने अतीत में आतंकवादी समूहों को समर्थन दिया है. उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले तीन दशकों में पाकिस्तान ने अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देशों के लिए "गंदे काम" किए हैं.
 

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10 June 2025, 03:12 PM IST

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