अमेरिका ने दशकों तक गिराईं दूसरे देशों की सरकारें...ट्रंप की करीबी ने किया बड़ा खुलासा
अमेरिका की खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने स्वीकार किया कि अमेरिका दशकों से दूसरे देशों में सत्ता परिवर्तन कराता रहा, जिससे वैश्विक अस्थिरता और दुश्मनी बढ़ी. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने इस नीति को खत्म कर लोकतंत्र, आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया है, हालांकि गाजा-ईरान हालात अब भी नाजुक हैं.

नई दिल्लीः अमेरिका की खुफिया निदेशक और ट्रंप प्रशासन की अहम सदस्य तुलसी गबार्ड ने एक बड़ा बयान देकर अमेरिकी विदेश नीति को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने स्वीकार किया कि अमेरिका दशकों से दूसरे देशों की सरकारें गिराने और सत्ता परिवर्तन करवाने की नीति अपनाता रहा है. गबार्ड ने माना कि इस नीति से न तो वैश्विक शांति स्थापित हुई. न ही अमेरिका को कोई रणनीतिक लाभ मिला, बल्कि इसके चलते दुनिया में उसके दुश्मनों की संख्या बढ़ती चली गई.
अमेरिका की साजिश का खुलासा
बहरीन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सामरिक अध्ययन संस्थान (IISS) के मंच मनामा डायलॉग में बोलते हुए तुलसी गबार्ड ने कहा कि अमेरिकी हस्तक्षेप नीति एक अंतहीन चक्र में फंस चुकी थी, जिसमें अमेरिका बार-बार विदेशी सरकारों को हटाने और अपनी पसंद के शासन थोपने की कोशिश करता रहा.
उन्होंने कहा कि दशकों से हमारी विदेश नीति का फोकस दूसरे देशों के शासन को बदलने और वहां अपनी व्यवस्था लागू करने पर रहा है. लेकिन यह नीति अक्सर उलटी पड़ती थी. इससे हमने अपने सहयोगियों से ज्यादा दुश्मन बना लिए.
गबार्ड ने यह भी स्वीकार किया कि आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों का उदय भी अमेरिकी हस्तक्षेप का ही परिणाम था. उनका कहना था कि अमेरिका द्वारा मध्य पूर्व और एशिया के कई देशों में किए गए दखल ने वहां अस्थिरता बढ़ाई और आतंकवाद को जन्म दिया.
ट्रंप ने बदली अमेरिकी नीति
गबार्ड ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका की विदेश नीति में बड़ा बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने सत्ता पलट की नीति को खत्म कर लोकतंत्र को बढ़ावा देने, आर्थिक समृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया.
उन्होंने गाजा संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि गाजा में युद्धविराम लागू कराना और ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले रोकना, ट्रंप प्रशासन की कूटनीतिक प्राथमिकताओं का हिस्सा रहा है. गबार्ड के अनुसार, ट्रंप की कोशिश है कि अमेरिका अब ‘दुनिया का चौकीदार’ नहीं, बल्कि स्थिरता का साझेदार’ बने.
गाजा और ईरान को लेकर चिंता बरकरार
गबार्ड ने यह भी स्वीकार किया कि गाजा में युद्धविराम के बावजूद हालात बेहद नाजुक हैं. उन्होंने कहा कि ईरान की परमाणु गतिविधियां अब भी चिंता का विषय हैं. अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी की हालिया रिपोर्टें बता रही हैं कि ईरान की सुविधाओं में असामान्य गतिविधियां जारी हैं. आगे का रास्ता बिल्कुल आसान नहीं है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप इस दिशा में बेहद प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने चीन की बढ़ती सक्रियता को भी मध्य-पूर्व की स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बताया.
लंबे समय से युद्धों की आलोचक रही हैं तुलसी
तुलसी गबार्ड का यह बयान इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि वह कई वर्षों से अमेरिका के बाहरी युद्धों की आलोचक रही हैं. 2020 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान भी उन्होंने कहा था कि “अमेरिका को दूसरे देशों के युद्धों में नहीं उलझना चाहिए. उन्होंने ट्रंप प्रशासन की अमेरिका फर्स्ट नीति की तारीफ करते हुए कहा कि अब समय है कि वाशिंगटन अपने हितों को सुरक्षित रखते हुए वैश्विक स्थिरता के लिए साझेदारी पर जोर दे.


