China Rare Earth : रेयर अर्थ पर अमेरिका-चीन में टकराव...US ने तैयार किया प्लान,भारत बनेगा साझेदार
अमेरिका और चीन के बीच रेयर अर्थ खनिजों को लेकर तनाव बढ़ गया है. चीन द्वारा निर्यात रोकने की धमकी पर अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह चीन की बड़ी गलती है और अमेरिका अब वैकल्पिक स्रोत खोजेगा. रेयर अर्थ आधुनिक तकनीक और रक्षा उद्योग के लिए अहम हैं.

नई दिल्ली : दुनिया के दो सबसे बड़े आर्थिक देशों, अमेरिका और चीन, के बीच अब संघर्ष का नया मोर्चा “रेयर अर्थ मिनरल्स” यानी दुर्लभ पृथ्वी खनिजों पर खुल गया है. ये खनिज आधुनिक तकनीक की रीढ़ माने जाते हैं, जिनका उपयोग मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा उपकरणों, रोबोट और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों में होता है. चीन इस क्षेत्र में सबसे बड़ा उत्पादक होने के कारण वैश्विक बाजार पर लगभग 70 प्रतिशत नियंत्रण रखता है.
अमेरिकी वित्त मंत्री ने चीन को दी तीखी प्रतिक्रिया
अमेरिका की प्रतिक्रिया और रणनीतिक बदलाव
फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में स्कॉट बेसेंट ने कहा कि चीन की धमकी के बाद अमेरिका आने वाले दो वर्षों में वैकल्पिक आपूर्ति शृंखला (Supply Chain) तैयार करेगा. उन्होंने चेतावनी दी कि चीन का प्रभाव लंबे समय तक नहीं टिकेगा क्योंकि अमेरिका के पास इसके जवाब में ठोस उपाय मौजूद हैं. बेसेंट ने कहा, “चीन ने बंदूक मेज पर रख दी है, लेकिन गोली चलाकर उसने खुद को नुकसान पहुंचाया है.”
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका अब यह सुनिश्चित करेगा कि चीन रेयर अर्थ को राजनीतिक दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल न कर सके. इसके लिए अमेरिका अपने साझेदार देशों, विशेषकर भारत, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कुछ देशों के साथ मिलकर इन खनिजों की खुदाई और प्रसंस्करण के नए रास्ते तलाशेगा.
ट्रंप और जिनपिंग की मुलाकात के बाद नई दिशा
यह बयान दक्षिण कोरिया में हुई ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सामने आया है. दोनों नेताओं ने एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (APEC) समिट के दौरान करीब दो घंटे तक बातचीत की थी. यह बैठक उस समय हुई जब दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापार युद्ध को विराम देने के लिए समझौता किया गया था. मुलाकात के बाद अमेरिका और चीन ने एक साल का ऐसा करार किया जिसमें रेयर अर्थ के निर्यात को लेकर अस्थायी सहमति बनी. हालांकि चीन ने 9 अक्टूबर 2025 से इन खनिजों पर आंशिक निर्यात प्रतिबंध लागू कर दिया था.
बेसेंट ने बताया कि अब दोनों देशों के बीच “संतुलन” बनाने की कोशिश जारी है, लेकिन अमेरिका इस संतुलन पर अधिक समय तक निर्भर नहीं रह सकता. उन्होंने कहा कि आने वाले 12 से 24 महीनों में चीन का इस क्षेत्र पर दबदबा खत्म हो सकता है क्योंकि अमेरिका ने वैकल्पिक आपूर्ति पर काम शुरू कर दिया है.
भारत के लिए रणनीतिक अवसर
इस भू-राजनीतिक टकराव के बीच भारत के लिए नए अवसर खुलते दिख रहे हैं. भारत के पास भी रेयर अर्थ खनिजों का पर्याप्त भंडार है, जो अभी तक बड़े पैमाने पर उपयोग में नहीं लाया गया है. अमेरिका यदि चीन पर निर्भरता कम करता है, तो भारत उसके लिए एक रणनीतिक साझेदार बन सकता है. इससे भारत न केवल अपनी खनिज संपदा का बेहतर उपयोग कर सकता है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण “गेम चेंजर” की भूमिका भी निभा सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत इस दिशा में निवेश और तकनीकी सहयोग बढ़ाता है, तो वह अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों के साथ मिलकर चीन के दबदबे को चुनौती दे सकता है.
रेयर अर्थ का वैश्विक महत्व
रेयर अर्थ तत्वों में 17 रासायनिक तत्व शामिल हैं, जो हाई-टेक उद्योगों की नींव हैं. इनमें नियोडिमियम, लैंथेनम, सेरियम, युरोपियम जैसे तत्व प्रमुख हैं. ये न केवल इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए जरूरी हैं, बल्कि रक्षा, अंतरिक्ष और ऊर्जा क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभाते हैं. चीन इनका सबसे बड़ा उत्पादक है, इसलिए उसकी नीति में कोई भी बदलाव वैश्विक उद्योगों को प्रभावित कर देता है.
रेयर अर्थ को लेकर बढ़ता तनाव
चीन और अमेरिका के बीच रेयर अर्थ को लेकर बढ़ता तनाव अब केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बन गया है. अमेरिका की नई नीति इस दिशा में एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करती है, जहां वह अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर नई सप्लाई चेन विकसित करने में जुटा है. इस बीच भारत के पास यह मौका है कि वह अपनी खनिज संपदा और भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाए.


