RJD आई तो लौटेगा जंगल राज...गोपालगंज की जनता से अमित शाह बोले- साधु यादव के कारनामे कौन नहीं जानता
बिहार चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी के भाई साधु यादव पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि राजद सत्ता में आई तो जंगल राज भी सत्ता में लौट आएगा.

गोपालगंज : बिहार की राजनीति में नया मोड़ उस समय देखने को मिला जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार, 1 नवंबर 2025 को राज्य की जनता को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए राजद (राष्ट्रीय जनता दल) पर तीखा प्रहार किया. गोपालगंज जिले में आयोजित उनकी चुनावी रैली मौसम खराब होने के कारण रद्द करनी पड़ी, लेकिन शाह ने ऑनलाइन जुड़कर लोगों को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर राजद सत्ता में वापस आई, तो बिहार एक बार फिर “जंगल राज” के अंधकार में लौट जाएगा.
अपराध, अराजकता, बिहार की पहचान न बने
साधु यादव पर सीधा वार
गृह मंत्री ने अपने भाषण में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई साधु यादव का नाम लेते हुए कहा कि गोपालगंज के लोग उनके कारनामों को अच्छी तरह जानते हैं. शाह ने कहा कि 2002 के बाद से गोपालगंज की जनता ने कभी भी राजद को वोट नहीं दिया और उन्हें पूरा विश्वास है कि यह परंपरा इस बार भी जारी रहेगी. उन्होंने याद दिलाया कि साधु यादव के प्रभाव के दिनों में बिहार में भय और भ्रष्टाचार का माहौल था.
मीसा भारती की शादी का भी जिक्र किया
उस दौर की एक कुख्यात घटना का जिक्र करते हुए शाह ने अप्रत्यक्ष रूप से बताया कि 1999 में राबड़ी देवी की बेटी मीसा भारती की शादी के दौरान एक शोरूम से जबरन कारें उठवाने का मामला सामने आया था, जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री मोदी ने भी हाल ही में एक रैली में किया था.
शिल्पी गौतम हत्याकांड पर भी बोले
साधु यादव का नाम 1999 के शिल्पी गौतम हत्याकांड में भी सामने आया था. यह मामला लंबे समय तक चर्चा में रहा और हाल ही में फिर सुर्खियों में आया जब प्रशांत किशोर ने इस प्रकरण में तत्कालीन राजद नेता और अब भाजपा के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की भूमिका पर सवाल उठाए. इस मुद्दे ने बिहार की राजनीति को फिर से गरमा दिया है. शाह ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि ऐसे मामलों से ही यह समझा जा सकता है कि राजद शासन में कानून-व्यवस्था किस स्तर पर थी.
राजद शासन के दौर की हिंसा का उल्लेख
अमित शाह ने अपने संबोधन में उन नरसंहारों और हिंसक घटनाओं का भी जिक्र किया जो राजद शासनकाल में बिहार के कई जिलों में हुई थीं. उन्होंने कहा कि उस समय राज्य नक्सलवाद, जातीय संघर्ष और अपराध की आग में जल रहा था. शाह के अनुसार, भाजपा और एनडीए की सरकारों ने उन परिस्थितियों को बदलने का काम किया और बिहार को विकास और शांति की दिशा में आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी ने बिहार को “डर से विकास” की ओर ले जाने का कार्य किया है.
घोषणापत्र और विकास की योजनाओं पर जोर
अपने भाषण में शाह ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के हाल ही में जारी घोषणापत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि यह दस्तावेज बिहार के किसानों और महिलाओं की प्रगति का रोडमैप है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1.41 करोड़ जीविका दीदियों के खातों में 10,000 रुपये की सहायता राशि भेजी है और भविष्य में उन्हें 2 लाख रुपये तक की सहायता मिलेगी. शाह ने यह भी कहा कि बिहार के 27 लाख किसानों को प्रति वर्ष मिलने वाली 6,000 रुपये की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में अब 3,000 रुपये अतिरिक्त जोड़े जाएंगे, जिससे उन्हें सालाना 9,000 रुपये की सहायता मिलेगी.
औद्योगिक पुनरुत्थान और रोजगार के वादे
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में सभी बंद चीनी मिलों को अगले पांच वर्षों में दोबारा चालू किया जाएगा. इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिहार के विकास को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और आने वाले वर्षों में यहां निवेश और औद्योगिक विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी.
डिजिटल माध्यम से विपक्ष पर हमला
अमित शाह का डिजिटल संबोधन न केवल राजद पर हमला था, बल्कि बिहार में भाजपा-नीतीश गठबंधन की विकास नीतियों की राजनीतिक प्रस्तुति भी थी. उन्होंने राज्य की जनता को यह संदेश देने की कोशिश की कि राजद का शासन “जंगल राज” का प्रतीक रहा है, जबकि मोदी-नीतीश का नेतृत्व स्थिरता, विकास और सुशासन का प्रतीक है. शाह ने कहा कि बिहार की जनता को इस बार भी उसी रास्ते का चुनाव करना चाहिए जो राज्य को आगे ले जाए, पीछे नहीं.


