पैसों की नहीं, काम करने वालों की कमी...नागपुर में नितिन गडकरी बोले-15 लाख करोड़ रुपये पड़े हुए हैं
महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है, बल्कि काम करने वालों की कमी है. उन्होंने बताया कि 15 लाख करोड़ रुपये निवेश के लिए उपलब्ध हैं, लेकिन परियोजनाएं अटकी हैं.

मुंबई : केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपने स्पष्ट और बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं. शनिवार को नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ऐसा बयान दिया जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. गडकरी ने कहा कि उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है, बल्कि कमी है तो सिर्फ काम करने वालों की. उन्होंने दावा किया कि उनके पास 15 लाख करोड़ रुपये पड़े हुए हैं, जिन्हें खर्च करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि काम करने वाले लोग नहीं मिल रहे.
“पैसा मार्केट में है, पर काम ठप पड़ा है”
“5 साल में 5 लाख रोजगार का लक्ष्य”
केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में आने वाले पांच वर्षों में 5 लाख नए रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा. उन्होंने उद्योग जगत से अपील की कि वे विदर्भ क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में योगदान दें. गडकरी का मानना है कि अगर उद्योग तेजी से बढ़ेंगे तो नागपुर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा सकेगा और आसपास के गांवों का भी समग्र विकास होगा.
रोजगार और औद्योगिक विकास पर गडकरी का फोकस
गडकरी ने कहा कि सरकार और उद्योग जगत को मिलकर रोजगार सृजन (Employment Growth) पर ध्यान देना चाहिए. उनका उद्देश्य है कि विदर्भ के युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले ताकि उन्हें दूसरे शहरों में पलायन न करना पड़े. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री डेवलपमेंट जैसे संगठन इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
“मेरे कहे टारगेट पूरे होते हैं”
अपने अनुभवों को साझा करते हुए गडकरी ने बताया कि जब नागपुर में मिहान प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, तब कुछ लोगों ने उसका विरोध किया था. उस समय उन्होंने वादा किया था कि इस प्रोजेक्ट से एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा, और आज यह वादा पूरा हो चुका है. उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में भी उनके तय किए गए लक्ष्य पूरे होंगे.
नितिन गडकरी का यह बयान न केवल विकास की दिशा में उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वे रोजगार और औद्योगिक विकास को देश की प्रगति का प्रमुख स्तंभ मानते हैं. उनका कहना है कि पैसे की नहीं, बल्कि काम करने की मानसिकता और प्रतिबद्धता की जरूरत है.


