बांग्लादेश की सियासत में खलबली...पूर्व PM खालिदा जिया की हालत गंभीर, अस्पताल में हुईं भर्ती
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ प्रमुख खालिदा ज़िया की हालत बेहद नाज़ुक बनी हुई है. सीने में गंभीर संक्रमण के कारण उनके हृदय और फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ा है, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया. डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को अत्यंत गंभीर बताया है.

नई दिल्ली : बांग्लादेश में इन दिनों राजनीतिक माहौल बेहद तनावपूर्ण है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’अध्यक्ष खालिदा जिया की हालत अचानक गंभीर हो गई है. शेख हसीना की मुख्य राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी मानी जाने वाली खालिदा की खराब सेहत ने देश की राजनीति में नई चिंता पैदा कर दी है. उनके करीबी सहयोगियों ने पुष्टि की है कि उनकी स्थिति चिंताजनक है और डॉक्टर लगातार उनकी निगरानी कर रहे हैं.
कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही खालिदा
चिकित्सकों की रिपोर्ट से बढ़ी चिंता
सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार, बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने खुलासा किया कि डॉक्टरों ने गुरुवार रात ही बता दिया था कि खालिदा की स्थित “बेहद गंभीर” है. बीएनपी ने पूरी पार्टी को उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करने का निर्देश दिया है. शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद देशभर में उनके जल्दी स्वस्थ होने के लिए विशेष दुआएं की गईं. बीएनपी नेताओं का कहना है कि उनका स्वस्थ होना सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय चिंता का विषय है.
बांग्लादेश की सियासत की महत्वपूर्ण शख्सियत
खालिदा ज़िया बांग्लादेश के दिवंगत राष्ट्रपति जिया-उर-रहमान की पत्नी हैं और दो बार देश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं. उनकी सेहत पहले से ही कमजोर थी, क्योंकि वह यकृत, गुर्दे, मधुमेह, गठिया और आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारियों से जूझ रही हैं. उनके बड़े बेटे तारिक रहमान 2008 से लंदन में रह रहे हैं, जबकि छोटे बेटे अराफात रहमान का 2025 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
राजनीतिक परिदृश्य में बीएनपी की भूमिका
2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना की अवामी लीग सरकार गिर गई थी. इसके बाद से बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल में बीएनपी एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरी है. खालिदा ज़िया इसी साल लंदन में चार महीने के बेहतर इलाज के बाद बांग्लादेश लौटी थीं. उनकी वर्तमान स्थिति ने नए सिरे से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आने वाले समय में बांग्लादेश की राजनीति किस दिशा में जाएगी.


