दक्षिण चीन सागर में BrahMos की एंट्री! फिलीपींस में ब्रह्मोस की तैनाती से उड़ी चीन की नींद...पाकिस्तान का देख चुका है हाल
पाकिस्तान पर ब्रह्मोस स्ट्राइक ने चीन के एयर डिफेंस की कमजोरी उजागर कर दी। इसी बीच फिलीपींस ने अपनी पहली ब्रह्मोस बैटरी तैनात की है, जो दक्षिण चीन सागर में चीन को सीधी चुनौती देती है। 375 मिलियन डॉलर के इस भारत–फिलीपींस सौदे ने पूरे क्षेत्र की रणनीतिक शक्ति संतुलन बदल दिया है।

नई दिल्लीः मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष के दौरान एक अहम सैन्य तथ्य दुनिया के सामने आया. पाकिस्तान के एयरबेस पर भारतीय ब्रह्मोस मिसाइलों ने जिस सटीकता और तेजी से हमला किया, उसने पाकिस्तान के चीनी मूल के एयर डिफेंस सिस्टम की असलियत उजागर कर दी.
चीन को भी यह झटका लगा कि उसका एयर डिफेंस उस मिसाइल को रोकने में नाकाम है, जिसे रोक पाने की 1 प्रतिशत उम्मीद भी वह जताता था. आज की तारीख में दुनिया का कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को इंटरसेप्ट नहीं कर सकता.
इसी बीच भारत से ब्रह्मोस खरीदने वाले फिलीपींस ने अपनी सैन्य वर्षगांठ पर पहली बार इसकी बैटरी का सार्वजनिक प्रदर्शन किया. यह कदम दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव को लेकर बड़ा रणनीतिक संदेश माना जा रहा है.
फिलीपींस ने बढ़ाई तटीय सुरक्षा
फिलीपींस मरीन कॉर्प्स ने अपनी 75वीं वर्षगांठ पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल की पहली बैटरी को उजागर किया. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, यह बैटरी पश्चिमी लुज़ोन के ज़ाम्बालेस क्षेत्र में तैनात की गई है.
290 किलोमीटर रेंज वाली यह मिसाइल फिलीपींस को वह क्षमता देती है, जिसके जरिए वह अपने पश्चिमी समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले किसी भी जहाज को निशाना बना सकता है. इससे फिलीपींस की समुद्री सुरक्षा मजबूत हुई है और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर इसका साफ असर दिखाई दे रहा है.
दक्षिण चीन सागर में चीन को चुनौती
चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकतर हिस्से पर दावा करता है, जिसके चलते उसकी फिलीपींस से लगातार तनातनी होती रहती है. स्कारबोरो शोअल जैसे विवादित क्षेत्रों में चीनी और फिलीपींस कोस्ट गार्ड के बीच कई बार टकराव हो चुका है.
ब्रह्मोस के तैनात होने का मतलब यह है कि फिलीपींस अब लोज़ोन स्ट्रेट और स्कारबोरो शोअल जैसे संवेदनशील समुद्री मार्गों पर चीनी दबाव का मुकाबला प्रभावी तरीके से कर सकता है. यह मिसाइल किसी भी दुश्मन जहाज को कुछ ही मिनटों में ध्वस्त करने की क्षमता रखती है, जिससे चीन को अपनी आक्रामक रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है.
हाल के महीनों में चीन द्वारा स्कारबोरो शोअल को ‘नेचर रिजर्व’ घोषित करने से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया था. अगस्त और सितंबर में कई बार टकराव होने के बाद फिलीपींस के लिए अपने तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा मजबूत करना अनिवार्य हो गया था.
भारत–फिलीपींस रक्षा साझेदारी
2022 में भारत और फिलीपींस के बीच 375 मिलियन डॉलर का ब्रह्मोस सौदा हुआ था. इसके तहत तीन बैटरियां फिलीपींस को सौंपनी हैं, जिनमें से पहली का प्रदर्शन इस वर्ष किया गया. रिपोर्टों के अनुसार, फिलीपींस भविष्य में ब्रह्मोस की और बैटरियां खरीदने में रुचि रखता है.
इंडोनेशिया समेत दक्षिण चीन सागर विवाद से जुड़े कई देश इस मिसाइल प्रणाली में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान के खिलाफ वास्तविक युद्ध में इसकी प्रभावशीलता साबित हो चुकी है.
तटीय रक्षा में बड़ा बदलाव
फिलीपींस मरीन कॉर्प्स की एक ब्रह्मोस बैटरी में दो मोबाइल लॉन्चर, रडार वाहन, रीलोडर और कमांड–कंट्रोल यूनिट शामिल हैं. प्रत्येक लॉन्चर दो मिसाइलें दाग सकता है, जबकि रीलोडर चार अतिरिक्त मिसाइलें लेकर चलता है.
फिलीपींस के पूर्व रक्षा सचिव डेल्फ़िन लोरेंजाना ने कहा है कि ब्रह्मोस की तैनाती देश की समुद्री संप्रभुता को चुनौती देने वाली किसी भी कार्रवाई के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध पैदा करेगी.


