BRICS vs NATO: भारत-चीन-ब्राजील को मिली धमकी, क्या छिड़ गया नया शीत युद्ध?
BRICS vs NATO: दुनिया एक बार फिर दो ताकतवर ध्रुवों में बंटती नजर आ रही है एक ओर है अमेरिका और NATO के नेतृत्व वाला पश्चिमी गठबंधन, और दूसरी ओर उभरती हुई वैश्विक शक्तियों का समूह BRICS. हाल ही में NATO महासचिव की भारत, चीन और ब्राजील को रूस से व्यापार बंद करने की चेतावनी ने इस वैश्विक खिंचाव को और गहरा कर दिया है.

दुनिया एक बार फिर दो ध्रुवों में बंटती नजर आ रही है एक ओर है अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिमी जगत और दूसरी ओर उभरता हुआ BRICS समूह. हाल ही में NATO महासचिव मार्क रूट की भारत, चीन और ब्राजील को दी गई कड़ी चेतावनी ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है. चेतावनी में रूस से व्यापार बंद न करने पर 100% टैरिफ और सेकेंडरी प्रतिबंधों की धमकी दी गई है. क्या यह एक नए दौर के शीत युद्ध की शुरुआत है?
BRICS का बढ़ता प्रभाव और अमेरिका की बेचैनी
BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) अब 10 देशों का समूह बन चुका है और यह वैश्विक GDP का 41% प्रतिनिधित्व करता है. हाल ही में रियो डी जनेरो में हुई BRICS समिट में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने, नई BRICS करेंसी और वैश्विक दक्षिण की आवाज बुलंद करने की रणनीति बनाई गई. इससे अमेरिका की भू-राजनीतिक पकड़ पर चुनौती खड़ी हो रही है.
NATO की धमकी और संभावित आर्थिक जंग
NATO प्रमुख मार्क रूट ने 15 जुलाई को तीन देशों भारत, चीन और ब्राजील को खुली चेतावनी दी कि यदि वे रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं, तो उन्हें भारी आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. "बीजिंग, दिल्ली या ब्रासीलिया के नेताओं को इस चेतावनी को गंभीरता से लेना चाहिए. उन्हें पुतिन पर शांति समझौते का दबाव बनाना चाहिए."
भारत की स्थिति: संतुलन साधने की रणनीति
रूस से मजबूत रिश्ते: भारत रूस से बड़ी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल और रक्षा उपकरण खरीदता है. यह साझेदारी दशकों पुरानी है.
NATO का दबाव: अगर अमेरिका 100% टैरिफ लगाता है, तो फार्मा, टेक्सटाइल और ऑटो सेक्टर पर गहरा असर पड़ेगा.
भारत का रुख: भारत ने हमेशा स्वतंत्र विदेश नीति का समर्थन किया है. BRICS का हिस्सा होने के साथ-साथ वह QUAD का भी सदस्य है.
चीन की प्रतिक्रिया: कठोर और रणनीतिक
रूस का मजबूत सहयोगी: चीन, रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. यूक्रेन युद्ध में चीन का समर्थन प्रत्यक्ष न सही, पर प्रभावशाली रहा है.
NATO की चेतावनी पर पलटवार: चीन ने स्पष्ट किया कि उसका सैन्य विकास सामान्य है और वह किसी को हथियार नहीं दे रहा.
टैरिफ का असर: अमेरिका से व्यापारिक संबंध बिगड़ने पर चीन की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है.
ब्राजील की स्थिति: तटस्थता का दांव
स्वतंत्र विदेश नीति: राष्ट्रपति लूला का रुख स्पष्ट है कि BRICS को गुटनिरपेक्ष आंदोलन की तरह देखा जाना चाहिए.
अमेरिका से टकराव से बचाव: ब्राजील पहले ही 50% टैरिफ की धमकी झेल रहा है और अब NATO की चेतावनी ने संकट और गहरा कर दिया है.
क्या यह शीत युद्ध 2.0 है?
आर्थिक शस्त्रों का प्रयोग: पुराने शीत युद्ध में हथियार थे, अब टैरिफ और प्रतिबंध हैं.
सॉफ्ट पावर की लड़ाई: एक तरफ BRICS है जो वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाता है, दूसरी तरफ पश्चिमी गठबंधन जो मौजूदा व्यवस्था को बनाए रखना चाहता है.
BRICS की कमजोरियां: भारत-चीन तनाव और सदस्य देशों के अलग-अलग हित, इसकी एकता में दरार डाल सकते हैं.
भारत का रास्ता: नेतृत्व या संतुलन?
भारत 2026 में BRICS समिट की मेजबानी करेगा और अब वैश्विक दक्षिण की आवाज को नई दिशा देने की तैयारी में है. हालांकि भारत अमेरिका और NATO के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को भी नहीं खोना चाहता. NATO की धमकी भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती है, लेकिन अब तक भारत ने अपनी स्वतंत्र और संतुलित नीति से ऐसे संकटों का समाधान निकाला है.


