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299 मासूमों की चीख: डॉक्टर की काली डायरी ने खोली इंसानियत की जघन्य सच्चाई

डॉक्टर जोएल ले स्कॉरनेक पर 299 बच्चों के यौन शोषण का सनसनीखेज आरोप साबित हुआ है. 20 साल की सजा के बाद भी सवाल हैं—क्या सिस्टम ने मासूमों की सुरक्षा में पूरी भूमिका निभाई? ये मामला इंसानियत पर बड़ा कलंक है.

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

इंटरनेशनल न्यूज. डॉक्टरों को समाज में भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि वे लोगों की जान बचाते हैं. लेकिन फ्रांस के 74 वर्षीय गैस्ट्रिक सर्जन जोएल ले स्कॉरनेक ने इस भरोसे को पूरी तरह तोड़ दिया. वह 299 बच्चों के यौन शोषण और बलात्कार के आरोप में दोषी पाए गए हैं. फ्रांसीसी क्रिमिनल कोर्ट ने बुधवार को उन्हें 20 साल की सजा सुनाई. जोएल ले स्कॉरनेक ने 1989 से 2014 के बीच नौ अस्पतालों में काम करते हुए बच्चों को उनके इलाज के बाद बेहोशी की हालत में शिकार बनाया. पीड़ित बच्चों में 256 की उम्र 15 साल से कम थी, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल थे. यह घिनौना सच तब सामने आया जब 2017 में एक छह साल की बच्ची ने अपने माता-पिता को डॉक्टर की गलत हरकतों के बारे में बताया.

पुलिस ने आरोपी के घर छापा मारा, जहां सेक्स टॉयज, अश्लील सामग्री और एक ‘सीक्रेट डायरी’ मिली. उस डायरी में 299 बच्चों के नाम, उनकी उम्र, पते और उनके साथ किए गए जघन्य अपराधों का विवरण था. शुरुआत में जोएल ने डायरी को एक कल्पना बताया. लेकिन बाद में अदालत में उसने खुद स्वीकार किया कि उसने 111 बार बलात्कार और 188 बार यौन शोषण किया. सुनवाई के दौरान उसका खामोश रहना और पछतावा न दिखाना पीड़ित परिवारों के लिए और दर्दनाक था.

परिवारों की टूटी जिंदगी, समाज की अनदेखी

इस मामले ने सिर्फ बच्चों को ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को भी बुरी तरह प्रभावित किया. एक सैनिक के पिता ने अदालत में बताया कि उनकी जिंदगी पूरी तरह से तबाह हो गई. एक महिला ने कहा कि वह 10 साल तक घर से दूर इसलिए रही क्योंकि खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती थी. कई पीड़ित आज भी न्याय के लिए लड़ रहे हैं, जबकि सिस्टम की मूक भागीदारी ने उन्हें और अधिक दर्द दिया है.

सिस्टम की नाकामी, सवाल अब भी बरकरार

2005 में इस डॉक्टर पर बच्चों की अश्लील सामग्री डाउनलोड करने का आरोप लगा था, लेकिन उसे सिर्फ चार महीने का सस्पेंशन मिला. इसके बाद भी वह 2017 तक बच्चों का इलाज करता रहा, जो चिकित्सा और न्याय प्रणाली दोनों की गंभीर विफलता को दर्शाता है. यह साबित करता है कि सिस्टम ने समय रहते कदम नहीं उठाए, जिससे मासूम बच्चों की सुरक्षा दाव पर लग गई.

सजा के बावजूद सवाल बाकी

हालांकि कोर्ट ने उसे 20 साल की सजा सुनाई है, फिर भी वह 13 साल के बाद पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है. सवाल यह है कि क्या इतनी सजा उन 299 मासूम बच्चों के टूटे हुए जीवन का न्याय कर पाएगी? क्या भविष्य में ऐसे घिनौने अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे? यह केवल एक केस नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत की हार है. उस सीक्रेट डायरी में दर्ज 299 दर्दनाक कहानियां समाज, अस्पताल और सरकारों के लिए एक चेतावनी हैं कि हमें जवाबदेही की मांग करनी होगी और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी.

इंसानियत की शर्मनाक सच्चाई

यह कोई आम केस नहीं, बल्कि इंसानियत पर बड़ा कलंक है. जो डायरी मिली है, वह 299 मासूमों की चुप्पी तोड़ती है. अब सवाल हर माता-पिता, हर अस्पताल और हर सरकार से पूछने का वक्त है—क्या हम बच्चों की सुरक्षा के लिए सच में प्रतिबद्ध हैं?

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29 May 2025, 06:04 PM IST

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