पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता से चीन परेशान, अमेरिका से नजदीकी, क्या खतरे में दोनों की दोस्ती?
चीन और पाकिस्तान को अच्छे दोस्त के रूप में लंबे समय से देखा गया है. लेकिन अब पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा समस्याओं ने इसे गंभीर संकट में डाल दिया है. बलूचिस्तान, जो CPEC का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लगातार हिंसा और हमलों का केंद्र बना हुआ है. इस क्षेत्र में चीनी कामकाजी कर्मचारियों और परियोजनाओं पर कई बार हमले हो चुके हैं, जिससे चीन का उत्साह कम हुआ है.

चीन और पाकिस्तान को हमेशा से दोस्त के रूप में देखा गया है. दोनों देशों के बीच दोस्ती की मिसालें अक्सर सामने आई हैं, जहां एक दूसरे की मदद और समर्थन की बातें सामने आती रही हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में इस दोस्ती में कुछ दरारें आई हैं. एक मुख्य कारण चीन द्वारा पाकिस्तान में किए गए निवेश और विकास परियोजनाओं के साथ जुड़ी समस्याएं हैं, जिनमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्रमुख है. यह परियोजना चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का अहम हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा समस्याओं ने इसे गंभीर संकट में डाल दिया है.
CPEC पर संकट: चीन का निवेश खतरे में
CPEC एक गमचेंजर प्रोजेक्ट के रूप में देखा जा रहा था, जो चीन को अरब सागर तक सीधी पहुंच प्रदान करता है. लेकिन बीते कुछ समय में इस परियोजना को लेकर उम्मीदों के विपरीत परिणाम सामने आए हैं. पाकिस्तान की बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और राजनीतिक अस्थिरता ने चीन को चिंतित कर दिया है. बलूचिस्तान, जो CPEC का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लगातार हिंसा और हमलों का केंद्र बना हुआ है. इस क्षेत्र में चीनी कामकाजी कर्मचारियों और परियोजनाओं पर कई बार हमले हो चुके हैं, जिससे चीन का उत्साह कम हुआ है.
ग्वादर की रणनीतिक अहमियत
CPEC के लड़खड़ाने के बावजूद, चीन ने ग्वादर बंदरगाह पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है. यह बंदरगाह फारस की खाड़ी के पास स्थित है, जो चीन की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां दुनिया के 30 फीसदी से ज्यादा तेल और गैस भंडार मौजूद हैं. ग्वादर पर नियंत्रण से चीन हिंद महासागर में अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सकता है, जो अमेरिका और भारत के प्रभुत्व को चुनौती देता है. चीन ने ग्वादर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का संचालन अपने हाथ में लिया और इसे एक प्रमुख रसद केंद्र बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है. इसके अलावा, चीन ने ओरमारा में जहाज मरम्मत डॉक और पनडुब्बी होल्डिंग सुविधा स्थापित करने में भी रुचि दिखाई है.
पाकिस्तान का अनमना रवैया और सुरक्षा समस्याएँ
चीन के सामने एक बड़ी समस्या पाकिस्तान का अनमना रवैया बन रहा है. पाकिस्तान ने चीनी प्रस्तावों को ठुकरा दिया है, जिनमें चीनी कामकाजी कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त सुरक्षा बल स्थापित करने की बात की गई थी. पाकिस्तान में बढ़ते हमलों के बावजूद, चीनी प्रयासों के बावजूद, पाकिस्तान ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए. 2024 में कराची में हुए आत्मघाती बम विस्फोट के बाद, चीन ने सुरक्षा स्थिति सुधारने के लिए एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजा, लेकिन पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. इससे चीन के लिए पाकिस्तान पर विश्वास बनाए रखना मुश्किल हो गया है.
पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ता संबंध
पाकिस्तान के लिए चीन से ज्यादा अमेरिका के साथ संबंध अब अहम होते जा रहे हैं. तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद, पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे, लेकिन अब पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ संबंधों को फिर से मजबूत किया है. पाकिस्तान की सरकार और सेना ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 7 अरब डॉलर और विश्व बैंक से 20 अरब डॉलर का ऋण प्राप्त किया है. इस स्थिति ने चीन को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि पाकिस्तान के अमेरिका की ओर झुकाव से चीन के प्रमुख निवेशों और परियोजनाओं पर संदेह उत्पन्न हो रहा है.
भारत और चीन के लिए नई चुनौती
चीन को इस बात का डर है कि पाकिस्तान जानबूझकर अपनी परियोजनाओं में अमेरिका के इशारे पर रुकावट डाल रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच के रिश्तों में और जटिलताएँ आ रही हैं. CPEC की धीमी प्रगति और पाकिस्तान का अमेरिका की ओर झुकाव बीजिंग को दुविधा में डाल रहा है. चीन के लिए यह स्थिति अनिश्चितता का कारण बन चुकी है, और दोनों देशों के रिश्तों में भविष्य में और तनाव बढ़ने की संभावना है.


