परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ी है दुनिया! एलन मस्क के दावे से पूरे वर्ल्ड में मचा हड़कंप
टेक अरबपति एलन मस्क ने बयान दिया है कि 5 से 10 साल में दुनिया एक बड़े युद्ध और संभव हो तो परमाणु युद्ध की चपेट में आ सकती है. उनके इस बयान ने सभी को झकझोर कर रख दिया है.

नई दिल्ली: टेक दुनिया के सबसे चर्चित नामों में से एक एलन मस्क अक्सर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर खुले तौर पर अपनी राय रखने वाले मस्क ने इस बार एक ऐसा दावा किया है जिसने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है. उनका कहना है कि आने वाले 5 से ज्यादा से ज्यादा 10 साल में दुनिया एक बड़े युद्ध और संभव हो तो परमाणु युद्ध की चपेट में आ सकती है.
मस्क का बयान कैसे आया ?
X पर एक यूजर ने एक थ्रेड में यह चर्चा की कि कैसे परमाणु हथियारों की मौजूदगी के कारण शक्तिशाली देशों के बीच युद्ध का खतरा कम हो गया है. इस यूजर का कहना था कि बाहरी खतरे के अभाव में दुनिया भर की सरकारें अपने काम में लापरवाह होती जा रही हैं.
यूजर ने लिखा कि जब बड़े युद्ध की आशंका ही नहीं है, तो सरकारों पर किसी तरह का “विकासवादी दबाव” नहीं रहता. इसी थ्रेड पर एलन मस्क ने जवाब देते हुए कहा, “युद्ध अवश्यंभावी है. 5 साल, ज़्यादा से ज़्यादा 10 साल.” उनका यह छोटा सा जवाब दुनिया भर में हैरानी और चिंता का कारण बन गया.
मस्क ने क्यों कहा युद्ध तय है ?
मस्क ने इस बयान पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया, लेकिन उनका यह दावा वैश्विक तनावों पर आधारित हो सकता है. कई बार मस्क ने पहले भी दुनिया में बढ़ती अस्थिरता पर चिंता जताई है.
यूरोप और ब्रिटेन में संभव गृहयुद्ध जैसी स्थिति, अमेरिका-चीन के बीच ताइवान को लेकर तनाव, यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष का विस्तार, बड़े पैमाने पर प्रवासन संकट और विश्व शक्तियों के बीच सैन्य दबाव. इन मुद्दों के चलते मस्क पहले भी चेतावनी दे चुके हैं कि वैश्विक परिस्थितियां तेजी से बिगड़ रही हैं.
Grok ने बताया मस्क का इशारा
कुछ उपयोगकर्ताओं ने मस्क के ही AI चैटबॉट Grok से इस बयान पर राय पूछी. Grok ने बताया कि मस्क पहले भी कई भू-राजनीतिक खतरों का उल्लेख कर चुके हैं. जैसे- यूरोप में सामाजिक और राजनीतिक तनाव, ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन की टकराव वाली स्थिति, यूक्रेन संकट का संभावित विस्तार और परमाणु निवारण के बावजूद लगातार बढ़ते सैन्य तनाव. Grok के अनुसार, मस्क का यह बयान किसी एक देश या संघर्ष की ओर नहीं था, बल्कि वे दुनिया में बढ़ते आपसी टकराव की ओर इशारा कर रहे थे.


