बकवास बंद, अब कंपनियां सिर्फ टॉप टैलेंट को ही बुलाएं....अमेरिकी मंत्री ने बताया H-1B वीजा पर ट्रंप की क्या है योजान
अमेरिका ने H-1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर (88 लाख रुपये) कर दिया है, जिससे विदेशी पेशेवरों के लिए प्रवेश और कठिन हो गया है. यह कदम "टॉप टैलेंट" को प्राथमिकता देने और अमेरिकी श्रमिकों की नौकरियों की रक्षा करने के उद्देश्य से लिया गया है. यह नीति केवल नए वीजा आवेदकों पर लागू होगी, जिससे भारतीय पेशेवरों और आईटी कंपनियों पर असर पड़ सकता है.

H-1B Visa Fee Increase : अमेरिका ने H-1B वीजा के नए आवेदकों के लिए शुल्क को कई गुना बढ़ा दिया है, जिससे विदेशी स्किल्ड लेबर के लिए अमेरिका में प्रवेश और भी कठिन हो गया है. अब, H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वालों को 1,00,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की फीस चुकानी होगी, जबकि पहले यह शुल्क एक से 8 लाख रुपये के बीच था. इस फैसले को अमेरिकी सरकार ने विदेशी श्रमिकों की संख्या को नियंत्रित करने और केवल 'टॉप टैलेंट' को अमेरिका में लाने के उद्देश्य से लिया है.
सक्षम और योग्य लोग ही अमेरिका में आए
भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर
यह नई नीति खासतौर पर भारत से अमेरिका में काम करने जाने वाले पेशेवरों पर असर डालने वाली है. 21 सितंबर से लागू हुए इस फैसले ने अमेरिकी वीजा धारकों, विशेष रूप से भारतीयों को हैरान कर दिया. भारतीय पेशेवरों की संख्या H-1B वीजा धारकों में 70% से ज्यादा है, और इस कदम से अमेरिका में काम करने की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं.
कई कंपनियां इस वीजा का गलत उपयोग कर रही
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा प्रणाली के दुरुपयोग का हवाला देते हुए कहा कि यह अमेरिकी श्रमिकों की नौकरियां छीनने का कारण बन रही है और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि कई आउटसोर्सिंग कंपनियां इस वीजा का गलत उपयोग कर रही हैं, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग और वीजा धोखाधड़ी जैसी गतिविधियों का खतरा उत्पन्न हो रहा है.
नई फीस सिर्फ नए आवेदकों पर लागू
व्हाइट हाउस ने बाद में स्पष्ट किया कि यह फीस केवल नए वीजा आवेदकों पर लागू होगी, और पहले से मौजूद H-1B वीजा धारकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने कहा कि यह शुल्क एकमुश्त शुल्क है और रिन्यूअल पर यह लागू नहीं होगा. इसके अलावा, वर्तमान वीजा धारक जो देश से बाहर हैं, उन्हें इस शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा.
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर असर
बता दें कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों पर चर्चा चल रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का असर भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर पड़ेगा, क्योंकि यह विशेष रूप से भारतीय कंपनियों और पेशेवरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है. नैसकॉम जैसे उद्योग संघों ने इस नीति के चलते व्यापारिक प्रोजेक्ट्स में रुकावट की आशंका जताई है.
समाज पर संभावित प्रभाव
इस नई नीति का सबसे बड़ा प्रभाव भारत के टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स और उन कंपनियों पर पड़ने वाला है जो H-1B वीज़ा पर निर्भर हैं. खासकर बड़ी भारतीय आईटी कंपनियाँ जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस और विप्रो, जो अमेरिका में बड़ी संख्या में काम कर रही हैं, इस नीति से प्रभावित हो सकती हैं.
अमेरिका का यह कदम वीजा शुल्क बढ़ाने और इमिग्रेशन नीति को सख्त बनाने का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य केवल शीर्ष गुणवत्ता वाले पेशेवरों को आकर्षित करना है. हालांकि, इससे विदेशी श्रमिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश की राह और भी कठिन हो जाएगी, और इसका असर भारतीय तकनीकी पेशेवरों और कंपनियों पर भी पड़ सकता है.


