गाजा की बर्बादी: खंडहरों में दबी मासूम ज़िंदगी, भूख और बेघरपन से कराहती पूरी पीढ़ियां
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट ने गाजा की तबाही की गंभीर तस्वीर पेश की है। मलबा हटाने में 10 साल और उपजाऊ जमीन लौटाने में 25 साल लगेंगे।

National News: गाजा युद्ध को शुरू हुए दो साल हो चुके हैं और अब संयुक्त राष्ट्र ने साफ कर दिया है कि तबाही का असर पीढ़ियों तक रहेगा। रिपोर्ट बताती है कि मलबा हटाने में ही दस साल लगेंगे जबकि जमीन को खेती लायक बनाने में 25 साल से ज्यादा समय लग सकता है। इजराइली हमलों ने गाजा की तस्वीर ही बदल दी है। यह इलाका अब सिर्फ टूटी दीवारों और ढहे मकानों का ढेर बन चुका है। लोग अपने घर खो चुके हैं और रोज़मर्रा की ज़िंदगी असंभव हो चुकी है।
तबाह हो चुके शहर
गाजा की 80% इमारतें मलबे में बदल गई हैं। इसका सीधा मतलब है कि बुनियादी ढांचा खत्म हो चुका है। स्कूल, अस्पताल और सरकारी दफ्तर अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। 5.1 करोड़ टन मलबा जमा है जिसे हटाने के लिए अरबों डॉलर की लागत और लंबा समय लगेगा। यह तबाही सिर्फ दीवारों तक सीमित नहीं रही बल्कि लोगों के सिर से छत छीन ले गई। 90% लोग बेघर हैं और जिनके पास थोड़ी बहुत जगह है भी, वहां ज़िंदगी बेहद कठिन हो चुकी है।
खेती पर गहरा असर
गाजा की पहचान हमेशा उपजाऊ जमीन से रही थी, लेकिन अब तस्वीर उलट गई है। 1500 एकड़ खेतों में से सिर्फ 232 एकड़ ही बच पाए हैं। यानी 98% जमीन खेती लायक नहीं रही। खेतों पर बमबारी के बाद मिट्टी में खतरनाक केमिकल घुल चुके हैं। यही वजह है कि उपजाऊ मिट्टी अब जहरीली हो चुकी है। गाजा जो पहले टमाटर, स्ट्रॉबेरी और खीरे तक का निर्यात करता था, अब अपनी जनता को ही खाना नहीं खिला पा रहा।
भूख और प्यास का संकट
उपजाऊ जमीन की तबाही का असर सीधे लोगों की थाली पर पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि गाजा की आधी से ज्यादा आबादी भुखमरी झेल रही है। 83% कुएं नाकाम हो चुके हैं और पानी भी दूषित हो गया है। खेती चौपट होने और पानी जहरीला होने से आम लोग रोज़ जिंदा रहने की जंग लड़ रहे हैं। खाना मिलना अब सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है।
स्कूल और अस्पताल ढहे
इजराइली हमलों ने गाजा के बच्चों और बीमारों से भी सहारा छीन लिया। 94% अस्पताल और 90% स्कूल तबाह हो चुके हैं। पहले यहां 36 अस्पताल काम कर रहे थे लेकिन अब ज्यादातर मलबे में दब गए हैं। बच्चे पढ़ाई से दूर हो गए हैं और बीमारों को इलाज की सुविधा भी नहीं मिल रही। दो साल की जंग ने गाजा के भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया है।
मौत का आंकड़ा डरावना
इस जंग ने अब तक 66 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की जान ली है, जिनमें 18 हजार से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। लाखों बच्चे अनाथ हो गए हैं। वहीं इजराइल का कहना है कि हमास के हमले में उसके 1200 नागरिक मारे गए और 251 को बंधक बना लिया गया। इनमें से अब भी दर्जनों बंधक लापता हैं। ये आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं बल्कि टूटे परिवारों और खत्म होती पीढ़ियों की हकीकत बयान करते हैं।
दशकों तक रहेगा असर
संयुक्त राष्ट्र साफ कहता है कि गाजा की तबाही सिर्फ आज की समस्या नहीं है बल्कि आने वाले दशकों तक यह जख्म ताज़ा रहेंगे। समाज, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण तीनों को भारी झटका लगा है। गाजा की हालत यह साबित करती है कि एक युद्ध सिर्फ ज़मीन नहीं जलाता, बल्कि लोगों के सपनों, बच्चों के भविष्य और इंसानियत की जड़ों को भी राख कर देता है।


