अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चमक रहा हार्वर्ड, ट्रंप सरकार में फीका पड़ा रुतबा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच टकराव गहराता जा रहा है. ट्रंप ने हार्वर्ड की नीतियों पर सवाल उठाते हुए उसकी 2.2 बिलियन डॉलर की फंडिंग रोकने का आदेश दिया है और सोशल मीडिया पर इसे "Harvard has lost its way" कहकर निशाना बनाया.

अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच जारी टकराव ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. ट्रंप ने हार्वर्ड पर निशाना साधते हुए न सिर्फ उसकी नीतियों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यूनिवर्सिटी की फंडिंग पर भी रोक लगाने का फैसला सुनाया है. सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, "Harvard has lost its way." यानी "हार्वर्ड अपनी राह भटक गया है."
यह विवाद तब और दिलचस्प हो गया जब यह सामने आया कि ट्रंप के मौजूदा प्रशासन में हार्वर्ड से पढ़े नेताओं की संख्या बेहद कम है. सवाल उठने लगे कि क्या अमेरिका की सत्ता के गलियारों में अब हार्वर्ड का दबदबा खत्म हो रहा है?
ट्रंप कैबिनेट में सिर्फ दो हार्वर्ड ग्रैजुएट
हार्वर्ड क्रिमसन की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के मौजूदा 24 सदस्यीय कैबिनेट में सिर्फ दो मंत्री रक्षा सचिव पीटर बी हेगसेथ और स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के सचिव रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर हार्वर्ड के पूर्व छात्र हैं. ट्रंप ने पहले हार्वर्ड की पूर्व छात्रा एलिस स्टीफैनिक को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की अगली राजदूत के तौर पर नामित किया था, लेकिन बाद में उनका नाम वापस ले लिया गया. वहीं, हार्वर्ड से पढ़े विवेक रामास्वामी ने खुद को 'डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी' से अलग कर लिया है.
अमेरिकी SC में हार्वर्ड का जलवा बरकरार
जहां ट्रंप प्रशासन में हार्वर्ड का प्रभाव कम होता दिख रहा है, वहीं अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में इसका दबदबा अब भी कायम है. कोर्ट के 9 जजों में से 4 मुख्य न्यायाधीश जॉन जी. रॉबर्ट्स जूनियर, ऐसोसिएट जस्टिस एलेना केगन, नील एम. गोरसच और केतान्जी ब्राउन जैक्सन हार्वर्ड से पढ़े हैं. बाकी पांच जजों में से चार क्लेरेंस थॉमस, सैमुअल ए. एलिटो, सोनिया सोतोमेयर और ब्रेट एम. कावानॉ येल यूनिवर्सिटी के ग्रैजुएट हैं. एकमात्र जज एमी कोनी बैरेट ने रोड्स कॉलेज से कानून की पढ़ाई की है.
‘एलिट यूनिवर्सिटी’ का न्यूनतम प्रतिनिधित्व
रिपोर्ट बताती है कि ट्रंप प्रशासन का मौजूदा रूप (दूसरा कार्यकाल) अब तक का सबसे कम 'आईवी लीग' ग्रैजुएट्स वाला प्रशासन है. सिर्फ 20.8% अधिकारी ही इन प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ से पढ़े हैं. आईवी लीग अमेरिका की आठ प्रमुख निजी यूनिवर्सिटी का समूह है, जिसमें हार्वर्ड, येल, प्रिंसटन, कोलंबिया आदि शामिल हैं. पहले की सरकारों की तुलना में ट्रंप का प्रशासन इन यूनिवर्सिटीज़ के प्रति ठंडा रवैया रखता नजर आ रहा है.
हार्वर्ड पर बढ़ता सरकारी शिकंजा
इस विवाद के बीच अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने हार्वर्ड को 30 अप्रैल तक विदेशी छात्रों की "अवैध और हिंसक गतिविधियों" का ब्योरा देने का अल्टीमेटम दिया है. अगर हार्वर्ड तय समय पर यह जानकारी नहीं देता, तो उसकी Student and Exchange Visitor Programme (SEVP) सर्टिफिकेशन रद्द कर दी जाएगी. इससे विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाने का अधिकार समाप्त हो सकता है.
ट्रंप की सोशल मीडिया पर टिप्पणी
डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड पर सीधा हमला करते हुए कहा, "Harvard has lost its way." साथ ही, उन्होंने संस्थान की 2.2 बिलियन डॉलर (करीब 18 हजार करोड़ रुपये) की फंडिंग को फ्रीज करने का आदेश दिया है. जहां एक तरफ हार्वर्ड जैसे संस्थान अमेरिकी न्यायपालिका में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं, वहीं ट्रंप प्रशासन की नीतियां एलिट संस्थानों से दूरी बनाती दिख रही हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में अमेरिका की सत्ता में हार्वर्ड की पकड़ बरकरार रहती है या और कमजोर होती है.


