रूस पर जल्द ही सेकेंडरी सैंक्शन लगाने की तैयारी में हूं...यूक्रेन युद्ध के बीच ट्रंप का बड़ा ऐलान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर सेकेंडरी सैंक्शन लगाने की घोषणा की है, जो तब तक लागू रहेंगे जब तक रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम और शांति समझौता नहीं हो जाता. उनका यह बयान रूस द्वारा यूक्रेन की ऊर्जा संरचनाओं पर हमले के बाद आया. ट्रंप ने रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों का संकेत दिया, जिससे वैश्विक ऊर्जा बाजार और कूटनीति पर असर पड़ सकता है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

US sanctions on Russia : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही में व्हाइट हाउस में एक प्रेस मीट के दौरान यह घोषणा की कि वह यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर सेकेंडरी सैंक्शन (द्वितीयक प्रतिबंध) लगाने के लिए तैयार हैं. ट्रंप ने कहा कि ये प्रतिबंध रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम और शांति समझौते के बाद तक जारी रह सकते हैं. उनका यह बयान ऐसे समय में आया जब रूस ने यूक्रेन की ऊर्जा संरचनाओं पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की एक नई श्रृंखला शुरू की थी.

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हुआ था आक्रमण

रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण किया था, जिसके बाद से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर कई दौर के प्रतिबंध लगाए हैं. इन प्रतिबंधों में रूस के तेल और गैस निर्यात को सीमित करने के उपाय भी शामिल हैं, जैसे कि रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा तय करना. ट्रंप प्रशासन ने पहले यूक्रेन को सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी भी देना बंद कर दिया था, जिससे रूस ने अपनी सैन्य कार्रवाई को और तेज कर दिया था.

रूस दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, "रूस इस समय यूक्रेन को युद्ध के मैदान में बुरी तरह कुचल रहा है. मैं बड़े पैमाने पर बैंकिंग प्रतिबंध, अन्य प्रतिबंध और टैरिफ पर विचार कर रहा हूं, जब तक कि युद्धविराम और अंतिम शांति समझौता नहीं हो जाता. रूस और यूक्रेन, अभी टेबल पर आएं, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए."

वैश्विक कूटनीतिक तनाव और बढ़ने की संभावना
ट्रंप के इस बयान के बाद वैश्विक कूटनीतिक तनाव और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि रूस और पश्चिमी देशों के बीच पहले से ही तनाव चरम पर है. इस कदम से वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा बाजार पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि रूस दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है और पहले ही 20,000 से अधिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जो 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए थे.

यूक्रेन ने नाटो देशों से हथियारों की मांग की
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस ने इन प्रतिबंधों से बचने के लिए 'शैडो फ्लीट' जैसी रणनीतियों का सहारा लिया है, जो तेल निर्यात के मूल स्रोत को छिपाने में मदद करती हैं. इस बीच, यूक्रेन ने नाटो देशों से अधिक हथियारों की मांग की है, खासकर पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम की, ताकि वह रूस के हमलों का मुकाबला कर सके. ट्रंप का यह बयान उनके पहले के रुख से एक बदलाव को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने यूक्रेन पर शांति समझौते के लिए दबाव डाला था.

हालांकि, उनकी पुतिन के प्रति नरम टिप्पणियों ने कई आलोचनाओं को जन्म दिया था. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम रूस पर दबाव बढ़ाने की एक रणनीति हो सकती है.

रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर सेकेंडरी टैरिफ 
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने इस संदर्भ में कहा कि यदि रूस और उससे तेल खरीदने वाले देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, पर और अधिक आर्थिक प्रतिबंध और सेकेंडरी टैरिफ लगाए जाते हैं, तो इससे मास्को की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से धराशायी हो जाएगी. इस प्रकार की कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए बातचीत की मेज पर आ सकते हैं. ट्रंप की यह घोषणा, जो रूस पर दबाव बनाने की एक नई रणनीति हो सकती है, वैश्विक कूटनीतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

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07 September 2025, 11:27 PM IST

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