हनी ट्रैप में फंसा भारतीय इंजीनियर, पाकिस्तान को दे रहा था पनडुब्बियों की जानकारी
ऐसा कहा जाता है कि इंजीनियर रवींद्र वर्मा ने 14 अलग-अलग भारतीय युद्धपोतों और पनडुब्बियों से जुड़ी गोपनीय जानकारियां पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के साथ साझा की थीं. इन जानकारियों में तकनीकी विवरण, तैनाती की संभावनाएं और स्केच शामिल थे, जिन्हें उसने ऑडियो नोट्स और नक्शों के जरिये भेजा.

महाराष्ट्र के ठाणे जिले का रहने वाला 27 वर्षीय मेकेनिकल इंजीनियर रवींद्र वर्मा जासूसी के आरोप में गिरफ्तार हुआ है. महाराष्ट्र एटीएस ने उसे तब पकड़ा जब यह सामने आया कि वह भारतीय युद्धपोतों और पनडुब्बियों से जुड़ी बेहद संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तान को भेज रहा था. आरोपी ने ये जानकारियां स्केच, नक्शों और ऑडियो नोट्स के जरिये साझा की थीं.
एटीएस की जांच में सामने आया है कि रवींद्र को नवंबर 2024 में फेसबुक पर ‘पायल शर्मा’ और ‘इसप्रीत’ नाम के दो फर्जी अकाउंट्स से फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली थी. ये अकाउंट खुद को महिला बताकर पेश करते थे. बातों-बातों में इन फर्जी प्रोफाइल्स ने कहा कि वे भारत से हैं और युद्धपोतों पर आधारित एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं. इसके बाद इंजीनियर रवींद्र उनके जाल में फंसता चला गया.
जानबूझकर दी महत्वपूर्ण जानकारियां
जांच अधिकारियों के अनुसार, रवींद्र ने एक रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी में जूनियर इंजीनियर के तौर पर काम किया. उसे नौसेना डॉकयार्ड तक जाने और जहाजों व पनडुब्बियों के निरीक्षण की अनुमति थी. चूंकि वहां मोबाइल फोन ले जाना मना था, वह काम खत्म कर बाहर आकर स्केच बनाकर या ऑडियो नोट्स भेजकर जानकारी साझा करता था. एटीएस को संदेह है कि उसने जहाजों और पनडुब्बियों के नाम भी पाक एजेंट को बताए.
बैंक खातों के जरिए मिला पैसा
पुलिस के मुताबिक, रवींद्र को इस जासूसी के बदले देश और विदेश के अलग-अलग बैंक खातों से पैसा मिला. उसने कई बार जानबूझकर संवेदनशील जानकारियां साझा कीं, जिससे साफ होता है कि वह किसी भावनात्मक या धोखे में नहीं, बल्कि पूरी मंशा से जासूसी कर रहा था.
महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर खतरा
रवींद्र ने जो जानकारियां साझा कीं, वे भारतीय नौसेना के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों से जुड़ी थीं. इसमें युद्धपोतों की बनावट, तकनीकी विवरण और उनकी स्थिति शामिल थी. ये जानकारियां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए अत्यंत उपयोगी हो सकती थीं, जिससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता था.
सोशल मीडिया बना जासूसी का हथियार
यह मामला एक बार फिर सोशल मीडिया के खतरनाक पक्ष को उजागर करता है. कैसे सिर्फ एक फ्रेंड रिक्वेस्ट से शुरू हुई बातचीत देशद्रोह में बदल सकती है. एटीएस अब यह भी पता लगाने में जुटी है कि क्या रवींद्र जैसे और लोग भी इस जाल में फंसे हैं.
अभी एटीएस की हिरासत में
रवींद्र को अदालत में पेश किया गया, जहां उसे 3 जून तक एटीएस की हिरासत में भेज दिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि उससे और भी जानकारियां मिलने की संभावना है. जांच का दायरा अब उसके बैंक खातों और सोशल मीडिया चैट्स तक बढ़ा दिया गया है.


