ईरान युद्ध में इजरायल को बड़ा झटका, चीन-रूस ने मिलाया हाथ, अमेरिका को दी चेतावनी
ईरान और इज़रायल के बीच जारी युद्ध अब सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं रह गई है, बल्कि इसमें दुनिया की महाशक्तियों की एंट्री से तनाव और बढ़ गया है. इस बार चीन और रूस ने मिलकर अमेरिका को सख्त संदेश दिया है.

साल 2025 के मध्य में पश्चिम एशिया की जंग अब एक और गंभीर मोड़ पर पहुंच गई है. ईरान पर इजरायली हमले के बाद दुनिया की दो महाशक्तियों चीन और रूस ने मिलकर इस आग में नया मोर्चा खोल दिया है. दोनों देशों ने एक संयुक्त मोर्चा बनाकर इजरायल को चेतावनी दी है और अमेरिका को भी सख्त संदेश भेजा है.
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत में इज़रायली कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया गया है. इस बातचीत के बाद अमेरिकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल मच गई है.
इस घटना के समय और रणनीति से यह स्पष्ट है कि चीन और रूस अब केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर ईरान का समर्थन कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने अपने कई एयरक्राफ्ट ईरान में उतारे हैं और हथियार पहुंचाने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है.
ट्रंप को चीन-रूस की दो टूक: पीछे हटो
सीएनएन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप को पुतिन और शी जिनपिंग की ओर से सख्त संदेश मिला है. अमेरिका जिस तरह इज़रायल की तरफ से युद्ध में कूदने की तैयारी कर रहा है, वह अब वैश्विक चिंता का विषय बन गया है. चीन और रूस दोनों ने इसे मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बताया है.
बिना नाम लिए इजरायल पर निशाना
बीजिंग की ओर से जारी बयान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इज़रायल का नाम लिए बिना ‘विवादित पक्षों’ से युद्धविराम की अपील की है. हालांकि इससे पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी, इज़रायली हमलों की कड़ी आलोचना कर चुके हैं. इस दोहरे रुख से साफ है कि चीन अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति का चेहरा बनाए रखना चाहता है, लेकिन अंदरखाने में ईरान को हरसंभव समर्थन दे रहा है.
चीन-ईरान: पुराना रिश्ता, नया विस्तार
चीन और ईरान के संबंध पहले से ही बेहद गहरे हैं. 2023 में सऊदी अरब और ईरान की सुलह में मध्यस्थ बनकर चीन ने अमेरिका को चौंका दिया था. इसके अलावा चीन ईरान से बड़े पैमाने पर तेल आयात करता है और ब्रिक्स व शंघाई सहयोग संगठन जैसे मंचों पर उसका समर्थन करता है. चीन ने अगले कुछ वर्षों में ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है.
रूस भी ईरान के पीछे, शांति प्रस्ताव पेश
रूस ने भी इज़रायल-ईरान संघर्ष को रोकने के लिए खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश किया है. क्रेमलिन की ओर से बताया गया है कि पुतिन और शी जिनपिंग के बीच बातचीत के दौरान तनाव कम करने के लिए चार अहम प्रस्ताव सामने रखे गए, जिसमें परमाणु मुद्दे पर बातचीत और नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताया गया है.
डोनाल्ड ट्रंप पर आरोपों की बौछार
चीनी और रूसी विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की नीतियों ने मध्य पूर्व को एक बार फिर अनिश्चितता के गहरे दलदल में धकेल दिया है. शंघाई इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी के लियू झोंगमिन ने कहा, "डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कूटनीति की साख, नेतृत्व और विश्वसनीयता को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त किया है."
यूक्रेन के बाद अब मिडिल ईस्ट?
विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह यूक्रेन में रूस के खिलाफ अमेरिका सक्रिय हुआ था, अब वैसी ही स्थिति ईरान में बन सकती है. अगर अमेरिका, इज़रायल के साथ मिलकर ईरान पर सैन्य कार्रवाई करता है, तो यह न केवल क्षेत्रीय युद्ध का रूप ले लेगा, बल्कि अमेरिका की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी भारी नुकसान पहुंचेगा.
क्या फिर फेल होगा चीन का 'शांति दूत'?
बीते समय में चीन ने गाजा संकट के दौरान भी शांति दूत भेजा था, लेकिन उसे कोई ठोस सफलता नहीं मिली. इस बार भी पुतिन और जिनपिंग के तमाम प्रस्तावों के बावजूद यह साफ नहीं है कि चीन वास्तव में संघर्ष विराम करवाने की स्थिति में है या नहीं.


