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इटली में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का-नकाब पर बैन की तैयारी, मेलोनी सरकार ने संसद में पेश किया विधेयक

Italy Burqa Ban: इटली में 8 अक्टूबर को संसद में एक नया विधेयक पेश किया गया, जो स्कूलों, विश्वविद्यालयों, दुकानों, कार्यालयों और सभी सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा पूरी तरह ढकने वाले कपड़ों पर पाबंदी लगाने की बात करता है. यह प्रस्ताव न केवल ध्यान खींचने वाला है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चर्चाओं को भी हवा दे रहा है.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Italy Burqa Ban: इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी सरकार ने एक ऐसा कानून संसद में पेश किया है जो देशभर में सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का और नकाब जैसे चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव करता है. यह विधेयक धार्मिक कट्टरवाद, इस्लामी अलगाववाद और सांस्कृतिक दूरियों को समाप्त करने के उद्देश्य से लाया गया है. सरकार का दावा है कि यह कदम इटली की राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा और सामाजिक समरसता को बनाए रखने में मदद करेगा. उल्लंघन करने वालों पर €300 से €3,000 (लगभग ₹26,000 से ₹2.6 लाख) तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. विधेयक को 'ब्रदर्स ऑफ इटली' पार्टी के तीन सांसदों ने 8 अक्टूबर को संसद में प्रस्तुत किया.

क्या है प्रस्तावित कानून का मकसद?

प्रस्ताव के मुताबिक स्कूल, कॉलेज, कार्यालय, दुकान और अन्य सभी सार्वजनिक स्थलों पर चेहरे को पूरी तरह ढकने वाले किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक परिधान को प्रतिबंधित किया जाएगा. इसका सीधा प्रभाव मुस्लिम महिलाओं के पहने जाने वाले बुर्का और नकाब पर पड़ेगा. सरकार का तर्क है कि ऐसे कपड़े समाज में अलगाव को बढ़ावा देते हैं और सुरक्षा के लिहाज से भी चिंता का विषय हैं. एक मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कानून फ्रांस की तर्ज पर लाया गया है जहां 2011 में बुर्का पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया था. इटली की पहचान और एकता की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है.

पुराना कानून, नई व्याख्या

हालांकि इटली में 1975 से ही एक कानून है जो सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर रोक लगाता है लेकिन उसमें बुर्का और नकाब का सीधा उल्लेख नहीं है. अब ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी इस पुराने कानून को स्पष्टता के साथ धार्मिक संदर्भ में लागू करना चाहती है ताकि मुस्लिम महिलाओं के पारंपरिक पहनावे पर सीधा प्रतिबंध लगाया जा सके.

विदेशी फंडिंग पर निगरानी भी विधेयक का हिस्सा

इस विधेयक में धार्मिक संगठनों की वित्तीय पारदर्शिता पर भी विशेष जोर दिया गया है. खासकर उन संगठनों पर जिनका इटली की सरकार के साथ कोई औपचारिक समझौता नहीं है.सरकार का कहना है कि इससे मस्जिदों और अन्य इस्लामी संगठनों की विदेशी फंडिंग की जांच हो सकेगी और अगर कोई संगठन देश की सुरक्षा के लिए खतरा माना गया तो उसकी फंडिंग रोकी जा सकेगी. विधेयक में लिखा गया है  कि इस्लामी कट्टरवाद का प्रसार निश्चित रूप से आतंकवाद के लिए उर्वर जमीन तैयार करता है.

मुस्लिम संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया

इटली में करीब 5 लाख मुस्लिम आबादी है जो इस कानून को सीधे तौर पर अपनी धार्मिक आजादी पर हमला मान रही है. देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने इसे महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है. एक मुस्लिम संगठन ने बयान में कहा कि यह विधेयक न केवल इस्लाम के खिलाफ है बल्कि महिलाओं की स्वतंत्रता को भी सीमित करता है.

राजनीतिक बहस तेज, समर्थन और विरोध दोनों

विधेयक की घोषणा के साथ ही इटली की राजनीति गर्मा गई है. मेलोनी सरकार के समर्थकों ने इसे राष्ट्रीय गौरव की रक्षा का कदम बताया है जबकि विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ साजिश करार दिया है. सरकार को संसद में बहुमत प्राप्त है, जिससे इस विधेयक के पारित होने की संभावना काफी अधिक मानी जा रही है. हालांकि इसकी औपचारिक बहस की तारीख अब तक तय नहीं की गई है.

क्यों उठाया गया यह कदम?

प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी लंबे समय से कट्टरपंथी इस्लाम और अवैध प्रवासन के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए हैं. उनकी सरकार ने पहले भी प्रवासियों की नावों को भूमध्यसागर में रोकने जैसे कई विवादास्पद निर्णय लिए हैं. उनका मानना है कि बुर्का और नकाब न केवल सुरक्षा के लिए खतरा हैं बल्कि यह समाज में सांस्कृतिक अलगाव और महिलाओं की आजादी को भी सीमित करते हैं.

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10 October 2025, 10:37 AM IST

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