खालिदा ज़िया को दी जाएगी अंतिन विदाई, नमाज-ए-जनाजा के लिए उमड़ने लगा जनसैलाब
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया के निधन के बाद उनका जनाजा बुधवार दोपहर ढाका में होगा. नमाज-ए-जनाजा से पहले ही मानिक मिया एवेन्यू पर बड़ी संख्या में लोग अंतिम विदाई देने पहुंचने लगे हैं.

ढाका: बांग्लादेश की तीन बार प्रधानमंत्री रह चुकीं बेगम खालिदा जिया का लंबी बीमारी के बाद 80 वर्ष की उम्र में ढाका में निधन हो गया.उनके लिए बुधवार दोपहर 2 बजे मानिक मिया एवेन्यू के पश्चिमी हिस्से में जनाजे की नमाज अदा की जाएगी. अधिकारियों के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर संसद के साउथ प्लाजा की बजाय मानिक मिया एवेन्यू पर रखा जाएगा. वहीं, उनके नमाज-ए-जनाजा के लिए अभी से ही बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचने लगे हैं.
खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में कई अंतरराष्ट्रीय नेता शामिल होंगे। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर शिरकत करेंगे, जबकि पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार भी अंतिम विदाई देने पहुंचेंगे।
पति के समीप होगीं दफ्न
नमाज-ए-जनाजा के बाद बेगम खालिदा जिया के पार्थिव शरीर को दोपहर लगभग 3:30 बजे पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा. उन्हें अपने पति, बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति और बीएनपी के संस्थापक जियाउर रहमान के बगल में दफनाया जाएगा. यह स्थल ढाका के शेर-ए-बांग्ला नगर में स्थित जिया उद्यान है, जिसे देश के राजनीतिक इतिहास से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है.
देश में राजकीय शोक की घोषणा
खालिदा जिया के निधन के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने कहा कि अंतिम संस्कार के दिन एक दिन का आम अवकाश भी रहेगा. शोक अवधि के दौरान ढाका महानगर क्षेत्र में कई पाबंदियां लागू की गई हैं. इस दौरान आतिशबाजी, पटाखे जलाने, आकाश में लालटेन या गैस के गुब्बारे उड़ाने पर रोक रहेगी. साथ ही खुले स्थानों पर किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं होगी.
एक प्रभावशाली राजनीतिक विरासत
खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति की सबसे प्रभावशाली हस्तियों में गिनी जाती थीं. उन्होंने कई बार देश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहीं. उनके निधन को बांग्लादेश की राजनीति के एक बड़े अध्याय के अंत के रूप में देखा जा रहा है. उनके जाने से न केवल बीएनपी बल्कि पूरे देश को अपूरणीय क्षति पहुंची है. समर्थक, कार्यकर्ता और आम नागरिक उन्हें एक मजबूत नेता और जुझारू राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में याद कर रहे हैं.


