नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका की सत्ता हिली, चार साल में चार पड़ोसी देशों में तख्तापलट से एशिया की राजनीति कांपी
पिछले चार सालों में भारत के चार पड़ोसी देशों-अफगानिस्तान, श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल-में सत्ता पलट की लहर चली है। कहीं जनता का गुस्सा, कहीं आर्थिक संकट तो कहीं लोकतंत्र पर हमला, हर जगह नतीजा एक ही रहा तख्तापलट।

International News: नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन लगते ही आग भड़क गई। काठमांडू से लेकर देशभर में युवा सड़कों पर उतर आए और पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। गुस्से का आलम इतना था कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। अब खबर है कि ओली देश छोड़कर दुबई जाने की तैयारी में हैं। यह घटना नेपाल की राजनीति के लिए किसी भूकंप से कम नहीं है।
बांग्लादेश में जनता का गुस्सा
साल 2024 में बांग्लादेश में हालात काबू से बाहर हो गए। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ राजधानी ढाका समेत पूरे देश में उग्र प्रदर्शन हुए। आरोप लगा कि आवामी लीग विपक्ष को दबा रही है। अगस्त 2024 में हालात इतने बिगड़े कि हसीना को सत्ता छोड़कर देश से भागना पड़ा। यह बांग्लादेश की राजनीति के लिए सबसे बड़ा झटका था।
पाकिस्तान में सेना के खिलाफ बवाल
2023 में पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी ने सबकुछ बदल दिया। तोशखाना मामले में गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थक सड़कों पर टूट पड़े। लाहौर से इस्लामाबाद तक सरकारी इमारतें जल गईं। सेना के ठिकानों को भी निशाना बनाया गया। इंटरनेट बंद कर दिया गया और कर्फ्यू जैसे हालात बन गए। यह पहला मौका था जब जनता ने सीधे सेना के खिलाफ अपना गुस्सा उतारा।
श्रीलंका का अरगलाया आंदोलन
2022 में श्रीलंका में आर्थिक संकट ने लोगों को सड़क पर ला खड़ा किया। महंगाई, ईंधन की किल्लत और बिजली कटौती ने जनता को बगावत के लिए मजबूर कर दिया। हजारों प्रदर्शनकारी कोलंबो में राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गए। राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश छोड़ना पड़ा। इस आंदोलन को 'अरगलाया आंदोलन' कहा गया और इसने श्रीलंका की राजनीति की तस्वीर बदल दी।
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी
2021 में अमेरिका ने 20 साल बाद अफगानिस्तान से सेना वापस बुला ली। इसके बाद तालिबान ने तेजी से कब्जा कर लिया। राजधानी काबुल पर नियंत्रण होते ही राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। लोकतंत्र की जगह तालिबान का कठोर शासन बैठ गया। अफगानिस्तान एक बार फिर आतंक और तानाशाही की गिरफ्त में आ गया।
भारत के लिए बड़ा सबक
चार साल में भारत के चार पड़ोसी देशों में सत्ता बदली। हर देश में वजह अलग रही, लेकिन संदेश एक ही है कि जनता का गुस्सा या हालात बिगड़ने पर कोई भी सरकार नहीं टिक सकती। भारत के लिए यह सबक है कि पड़ोस की अस्थिरता उसके लिए भी चुनौती बन सकती है।


