परमाणु हथियार, तीनों सेनाओं की कमान और सुपर रैंक... असीम मुनीर बने ऑल-इन-वन पावर सेंटर
पाकिस्तान में जनरल असीम मुनीर अब देश के पहले चीफ ऑफ डिफेन्स फोर्सेज (CDF) बन गए हैं. मतलब, पहले सिर्फ आर्मी चीफ थे, अब तीनों सेनाओं (आर्मी, नेवी और एयर फोर्स) के बॉस बन गए हैं. अब उनके हाथ में नेशनल स्ट्रैटेजिक कमांड का पूरा कंट्रोल भी आ गया है. यानी पाकिस्तान के सारे परमाणु हथियार, बैलिस्टिक मिसाइलें और न्यूक्लियर ट्रिगर अब सीधे असीम मुनीर के अधीन हैं.

नई दिल्ली: फील्ड मार्शल असीम मुनीर को एक ऐसे पद पर नियुक्त किया गया है, जिसने उन्हें देश का सबसे प्रभावशाली सैन्य अधिकारी बना दिया है. इस पद के साथ न केवल उनकी शक्ति बढ़ी है, बल्कि उन्हें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर भी प्रत्यक्ष नियंत्रण प्राप्त हो गया है.
शहबाज शरीफ सरकार द्वारा की गई इस नियुक्ति ने पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य ढांचे में बड़ा बदलाव ला दिया है. राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की मंजूरी के बाद असीम मुनीर को पाकिस्तान के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) के रूप में 5 साल का कार्यकाल दिया गया है. अब मुनीर थल सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों पर शीर्ष कमान रखते हैं.
न्यूक्लियर पावर का कंट्रोल के मालिक
CDF का पद तीनों सैन्य शाखाओं पर अधिकार तो देता ही है, साथ ही यह नेशनल स्ट्रैटेजिक कमांड की निगरानी भी सौंपता है. यह वही संस्था है जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम का प्रबंधन करती है. इस अधिकार से मुनीर अब पाकिस्तान की न्यूक्लियर ताकत के पूर्ण नियंत्रक बन गए हैं.
राष्ट्रपति जैसी कानूनी सुरक्षा भी मिली
फील्ड मार्शल के रूप में नियुक्ति के साथ मुनीर को वही कानूनी इम्युनिटी मिल गई है जो राष्ट्रपति को दी जाती है. यानी उन पर जीवनभर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा. यही सुरक्षा पाकिस्तान के नौसेना और वायुसेना प्रमुखों को भी प्रदान की गई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब CDF के पास Vice Chief of Army Staff के पद के लिए नाम प्रस्तावित करने की शक्ति होगी. बाद में इन नियुक्तियों पर अंतिम मुहर संघीय सरकार लगाएगी. पहले यह अधिकार पूरी तरह नागरिक सरकार के पास होता था.
पाकिस्तान में सैन्य शासन का इतिहास
पाकिस्तान में 1947 से ही सेना और नागरिक शासन के बीच सत्ता की खींचतान जारी रही है. देश पर खुलेआम शासन करने वाले अंतिम सैन्य नेता जनरल परवेज मुशर्रफ थे, जिन्होंने 1999 में तख्तापलट कर सत्ता संभाली और 2008 तक राष्ट्रपति रहे. हालांकि उसके बाद से नागरिक प्रशासन सत्ता में है, लेकिन सेना का प्रभाव कभी कम नहीं हुआ.
चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज का पद हाल ही में संविधान के 27वें संशोधन के तहत बनाया गया है. इसका उद्देश्य सैन्य कमान को केंद्रीकृत करना था. इस नए पद के गठन के साथ चेयरमैन, जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) को समाप्त कर दिया गया है.
पाक के सबसे शक्तिशाली सैन्य अधिकारी
फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नति के बाद अब मुनीर एक साथ COAS और CDF दोनों ही पद संभालेंगे. इससे वह उन कुछ चुनिंदा अधिकारियों में शामिल हो गए हैं जिनके पास पाकिस्तान की सैन्य और रणनीतिक शक्ति का अधिकतम नियंत्रण है. वे पाकिस्तान के इतिहास में पहले ऐसे अधिकारी हैं जिनके पास फाइव-स्टार फील्ड मार्शल रैंक, सेना प्रमुख का पद (COAS) और CDF की संयुक्त कमान एक साथ है. इससे पहले यह रैंक केवल जनरल आयूब खान को मिली थी, जिन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान नेतृत्व किया था.


