पाकिस्तान की सीक्रेट मीटिंग, आर्मी चीफ आसिम मुनीर को मिला दस साल राज का फॉर्मूला
नवाज शरीफ के फार्महाउस पर हुई एक गुप्त बैठक में पाकिस्तान की टॉप लीडरशिप जुटी। आर्मी चीफ आसिम मुनीर, नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ और मरियम नवाज ने अगले दस सालों तक सत्ता और स्थिरता बनाए रखने की योजना तैयार की।

International News: इस बैठक का आयोजन नवाज शरीफ के फार्महाउस में हुआ। कमरे में सिर्फ चुनिंदा चेहरे मौजूद थे। आर्मी चीफ आसिम मुनीर, पीएम शहबाज शरीफ, नवाज शरीफ और मरियम नवाज ने हिस्सा लिया। मकसद अगले दस सालों का ब्लूप्रिंट तैयार करना था। इसमें राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता की बातें रखी गईं। सेना और सरकार दोनों ने इसे मिलकर आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।
आर्मी चीफ आसिम मुनीर का कार्यकाल नवंबर 2025 में खत्म हो रहा है। वह पहले तीन साल के लिए नियुक्त हुए थे। लेकिन अब उन्हें पांच साल का और विस्तार देने की तैयारी है। पाकिस्तानी सेना अधिनियम 1952 में हुए बदलाव के चलते यह संभव है। सूत्र कहते हैं कि जल्द ही आधिकारिक अधिसूचना जारी हो सकती है। यह कदम मुनीर की ताकत को और मजबूत कर देगा।
निवेश और स्थिरता का बहाना
इस दस साल की योजना का सबसे बड़ा मुद्दा विदेशी निवेश को सुरक्षित माहौल देना है। अमेरिका, चीन और खाड़ी देशों को भरोसा दिखाना है कि पाकिस्तान स्थिर रहेगा। इसके लिए राजनीतिक और सैन्य एकजुटता को ज़रूरी बताया गया। यही वजह है कि बैठक में नागरिक-सैन्य ढांचे पर दोबारा मोहर लगाई गई। यह तय हुआ कि हर बड़ा फैसला सरकार और सेना मिलकर ही लेंगी।
टॉप पोस्ट पर सहमति
पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की अहम नियुक्तियों पर भी बात हुई। आईएसआई डीजी, डीजी मिलिट्री इंटेलिजेंस और काउंटर इंटेलिजेंस जैसे पदों पर सहमति से ही फैसला होगा। आईएसआई के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक भी बैठक में थे। वह अक्टूबर में रिटायर हो रहे हैं। चर्चा है कि उन्हें भी सेवा विस्तार दिया जा सकता है। इससे सेना और खुफिया तंत्र पूरी तरह मुनीर और शरीफ परिवार के हाथों में रहेगा।
इमरान खान पर सख्त रुख
बैठक का एक अहम हिस्सा इमरान खान रहे। वह इस वक्त जेल में हैं। जनता ने चुनाव में इमरान का समर्थन किया था। लेकिन शरीफ परिवार और मुनीर किसी भी हाल में उन्हें राहत नहीं देना चाहते। बैठक में साफ कहा गया कि इमरान खान को ना रिहाई मिलेगी, ना राजनीतिक मौके। यानी पाकिस्तान की राजनीति से उन्हें दूर रखने की पूरी रणनीति बनी।
सत्ता पर कड़ा नियंत्रण
इस पूरी मीटिंग का नतीजा साफ है कि पाकिस्तान की सत्ता अब आने वाले वक्त में सिर्फ शरीफ परिवार और मुनीर के बीच बंटेगी। राजनीतिक फैसले सेना की मंजूरी से होंगे। और सैन्य फैसले सरकार की सहमति से। इससे बाहर किसी को जगह नहीं मिलेगी। आम जनता के लिए यह लोकतंत्र का वादा नहीं, बल्कि सत्ता का समझौता है।
जनता और दुनिया के लिए संदेश
पाकिस्तान की जनता इस खेल को समझ चुकी है। लेकिन सेना और शरीफ परिवार मिलकर इसे राजनीतिक स्थिरता का नाम दे रहे हैं। दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि पाकिस्तान निवेश और साझेदारी के लिए सुरक्षित है। हकीकत यह है कि असली ताकत अब पूरी तरह आर्मी चीफ मुनीर के हाथों में है। उनका सपना अगले दस साल तक राज करने का है, और शरीफ परिवार इस सपने का साथी बन चुका है।


